यहां श्री राम ने लिया था राक्षसों के संहार का संकल्प, सुतीक्षण मुनि को दिए थे दर्शन

Sunday, Jun 28, 2020 - 01:33 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

मुख्य बिंदु
*यहां लिया था श्री राम ने राक्षसों के संहार का संकल्प
*यहां आज भी मौजूद हैं रामायण कालीन के साक्ष्य
*वनवास जाते वक्त इस जगह रुके थे राम
*यहां दैत्यों के लिए भगवान राम ने उठाया था  'सारंग धनुष'
*यहीं पर सुतीक्षण मुनि को भगवान राम ने दिए थे दर्शन


हमारे देश-दुनिया में ऐसी काफ जगहें जिनका संबंध हिंदू धर्म से है। इन्हीं में से एक से जुड़ी तमाम जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं। जिसमें हम आपको बताएंगे श्री राम से जुड़े एक ऐसे धार्मिक स्थल के बारे में जो मध्यप्रेदश के पन्ना जिले से महस 23 कि.मी दूर स्थित है। यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार ये वो स्थान है जहां पर भगवान श्री राम ने अपने अनुज लक्ष्मण के साथ तथा ऋषि अगस्त्य की उपस्थिति में राक्षसों के संहार का संकल्प लिया था।

बताया जाता है इस जगह का वर्णन रामाणय के अरण्यकांड में मिलता है तथा इस स्थान पर श्री राम ने पथ गमन के दौरान ऋषि अगस्त्य के शिष्य मुनि सुतीक्षण को दर्शन दिए थे।
आप में से कई ऐसे लोग होंगे जिन्हें इन बातों पर शायद विश्वास नहीं होगा। अगर ऐसा है तो कोई बात नहीं, क्योंकि हो सकता है इससे जुड़ी जानकारी जानने के बाद आपकी राय बदल जाए। ऐसा होना इस लिए संभव है क्योंकि बताया जाता है इस जगह पर आज भी कुछ ऐसे प्रमाण मिलते हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि श्री राम यहां आए थे। तो चलिए विस्तारपूर्वक जानते हैं इस जगह के बारे में-

जिस स्थान की हम बात कर रहे हैं वो मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से महज 23 कि.मी दूर सारंग मंदिर से प्रचलित है, जिसे सुतीक्षण मुनि का आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां रामपथ गमन के दौरान भगवान राम लक्ष्मण और सीता जी ने अक्षय वट के नीचे ऋषि अगस्त्य के सुतिस्किन मुनी को दर्शन दिए थे तथा ऋषियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर राक्षसों के संहार के लिए इसी धरती पर भगवान राम ने अपना धनुष रखा था, और दोनों भुजा उठाकर राक्षसों के संहार के लिए प्रतिज्ञा ली थी।

जिसका वर्णन भगवान तुलसीदास की रामायण के अरण्यकांड में किया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस धरती पर भगवान राम ने व्यक्तियों के संहार के लिए अपना धनुष यानि सारंग रखा था। यही कारण है कि इस विंध्य पर्वत की श्रृंखला और संरचना भगवान राम के धनुष के आकार की बनी है।

मंदिर के जानकार इस मंदिर का निर्माण छत्रसाल के वंशज और पन्ना राजघराने के महाराजा हरिवंश राय ने किया था। जिन्होंने पूरे धाम का नाम भगवान राम के धनुष हनी सारंग के नाम से रखा। यहां मुख्य द्वार पर भगवान श्री राम के धनुष के आकार का पद चिन्ह मिलता है और धनुष रूपी आकार से इस मंदिर के मुख्य गेट का निर्माण कराया गया है। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान राम सीता की प्रतिमा विराजमान हैं तथा सामने राम भक्त हनुमान की प्रतिमा मौजूद है।

कहा जाता है जिस तरह से कामदगिरी मंदिर चित्रकूट में पूरे परिक्रमा के दौरान मंदिर बना है ... ठीक उसी तरह इस मंदिर के चारों तरफ 52 छोटे बड़े मंदिर बने हुए हैं, जो अपने आप में विलक्षण और बहुमुखी हैं।

इसके अलावा इससे जुड़ी सबसे बड़ी खासियत है कि यह क्षेत्र पूरी तरह से विंध्य पर्वत की तलहटी पर बसा हुआ है और चारों तरफ़ इस पहाड़ में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियों का समावेश है जो कहीं आपको देखने को नहीं मिलेंगी।

इस आश्रम में एक श्री राम कुंड भी है जिसकी गहराई का आज तक कोई पता नहीं लगा सका है  और इस कुंड में पानी पहाड़ से कहां से आता है यह भी कोई पता नहीं लगा पाया है। सबसे खास बात है कि इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता और तो और इस कुंड के पानी पीने से सभी प्रकार के चर्म रोग पेट संबंधी समस्याएं और विकार हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं।

बताया जाता है कि सारंग धाम एक एसा स्थान है जिसे बुन्देलखण्ड के लोग वास्तविक तीर्थ स्थल मानते हैं। जहां जाने और राम कुण्ड का पानी पीने मात्र से सारे पाप दूर हो जाते हैं हालांकि इस पावन व रहस्यमयी मंदिर तक पहुंच मार्ग थोड़ा मुश्किल है।

Jyoti

Advertising