क्या यहां है साक्षात श्री राम का निवास, क्या है इस जगह का रहस्य?

Thursday, Dec 01, 2022 - 06:31 PM (IST)

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आज हम आपको एक ऐसे धाम की यात्रा पर ले चलेंगे जिसका वर्णन रामायण के अरण्यकांड में मिलता है जहां भगवान राम ने राम पथ गमन के दौरान ऋषि अगस्त के शिष्य सुतीक्षण मुनि को दिए थे दर्शन और इसी स्थान पर भगवान राम ने  राक्षसों के सहार के लिए के  लिया था संकल्प। यह मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की वह पावन धरती है जहां भगवान ने रामपथ गमन के दौरान इस धरती पर आए थे ऐसे प्रमाण आज भी यहां देखने को मिलते हैं।

पन्ना से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह है सारंग मंदिर जहां सुतीक्षण मुनि का आश्रम भी कहा जाता है यहां रामपथ गमन के दौरान भगवान राम लक्ष्मण और सीता अक्षय वट के नीचे ऋषि अगस्त के के सुतिस्किन मुनी को दर्शन दिए थे और ऋषियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर राक्षसों के संहार के लिए इसी धरती पर भगवान राम ने अपना धनुष रखा था और दोनों भुजा उठाकर राक्षसों के संहार के लिए प्रतिज्ञा ली थ। इसका वर्णन अरण्यकांड में भगवान तुलसीदास की रामायण में किया गया है।

इस आश्रम को लेकर यहां एक किवदंती है जिसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है ऋषि अगस्त के शिष्य सुतीक्षण मुनि थे और एक बार वह वन में जा रहे थे तभी आश्रम की रखवाली के लिए सुतीक्षण मुनि से कहकर वह निकले कि वह जब तक वापस ना आएं पत्थर रूपी शालिग्राम को सुरक्षित रखें और इसकी पूजा करें परंतु सुतीक्षण मुनि ने फलदार जामुन को तोड़ने के लिए शालिग्राम से जामुन को तोड़ना शुरू किया। 

जैसे ही जामुन को तोड़ने लगे शालिग्राम अपने आप गायब हो जाते हैं ऐसे में जब ऋषि अगस्त अपने कुटी में लौट कर आए तो उन्होंने अपने शिष्य मुनि से पूछा कि जो मैंने शालिग्राम तुम को दिए थे वह कहां है तो सुतीक्षण मुनि ने कहा कि पुनि पुनि चंदन पुनि पुनि पानी और शालिग्राम हीरा गए हम का जानी इस पर से ऋषि अगसत मुनि के ऊपर नाराज हुए और कहा इस आश्रम से हट जाओ और जब तक साक्षात भगवान राम को ना लेकर आना तब तक इस आश्रम में कभी दर्शन न देना। इस पर से मुनि इसी आश्रम में साधना की और भगवान राम जब इस आश्रम में सूतीक्षण मुनि उनको अपने साथ लेकर ऋषि अगस्त के पास पहुंचें।

ऐसी मान्यता है कि इस धरती पर भगवान राम ने व्यक्तियों के संहार के लिए अपना धनुष यानि सारंग रखा था। उसी के चलते इस विंध्य पर्वत की श्रंखला और संरचना भगवान के धनुष के आकार की बन गई है जिसे आप सहज ही आंखों से देख सकते हैं मंदिर के जानकार बताते हैं कि भगवान राम के धनुष के आकार की पूरी पर्वत श्रृंखला बन गई है।

इस मंदिर का निर्माण छत्रसाल के वंशज और पन्ना राजघराने के महाराजा हरिवंश राय जी ने किया था इस पूरे धाम का नाम भगवान राम के धनुष हनी सारंग के नाम से रखा गया है। शहर से जैसे ही स्थान में प्रवेश करते हैं मुख्य द्वार पर भगवान राम के धनुष के आकार का पद चिन्ह मिलता है और धनुष रूपी आकार से इस मंदिर के मुख्य गेट का निर्माण कराया गया है। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान राम सीता की प्रतिमा विराजमान है। सामने राम भक्त हनुमान की प्रतिमा मौजूद है।

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जिस तरह से कामदगिरि मंदिर चित्रकूट में पूरे परिक्रमा के दौरान मंदिर बनेगी उसी तरह सारा मंदिर में मंदिर के चारों तरफ 52 छोटे बड़े भगवान के मंदिर बने हुए हैं जो अपने आप में विलक्षण और बहुमुखी हैं।

लोग बताते हैं कि राम पथ गमन के दौरान भगवान राम लक्ष्मण सीता यहां पर आए थे और उनके पद चिन्ह इस बात का प्रमाण देते हैं। सीता रसोई राम बैठका लक्ष्मण टोरिया है जो इस बात का प्रमाण देते हैं कि भगवान यहां साक्षात रहे हैं और यहां मुनि को दर्शन देकर इस पथ से आगे चलकर  ऋषि अगस्त के पास गए थे।

यहां पन्ना के सलीहा के पास ऋषि अगस्त का आश्रम भी है जिसे दक्षिण भारत के लोग आज भी यहां दर्शन करने आते हैं। मुनि के आश्रम में सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह क्षेत्र पूरी तरह से विंध्य पर्वत की तलहटी पर बसा हुआ है और चारों तरफ इस पहाड़ में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियों का समावेश है कि जो कहीं आपको देखने को नहीं मिलेंगे, इस आश्रम में एक श्री राम कुंड है जिसकी गहराई का आज तक कोई पता नहीं लगा सका है और इस कुंड में पानी पहाड़ से कहां से आता है यह भी कोई पता नहीं लगा पाया है।

सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता और तो और इस कुंड के पानी पीने से सभी प्रकार के चर्म रोग पेट संबंधी समस्याएं और विकार हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं। कहते हैं कि यहां पर साक्षात भगवान राम ने गंगा को प्रकट किया था इसलिए इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता। वहीं इस कुंड के चारों तरफ अलग-अलग कुंड, कुएं, बाबड़ी बने हैं जो भी इस क्षेत्र का प्रताप कहें कि वह कभी भी भीषण गर्मी या अकाल पड़ने पर भी नहीं सूखते।

आज भी यहां पर इस रामकुंड का प्रताप है कि इस पानी को अगर कोई व्यक्ति जो अशुद्ध है या नशा पत्ती करके इस कुंड को छू लेता है तो आज भी यह अपने आप सूख जाता है और फिर इसकी पूजा-पाठ और अखंड रामायण करने से 24 घंटे बाद इसमें फिर से पानी जीवित हो जाता है और अचानक फिर से यह कुंड लबालब भर जाता है।

मंदिर का प्रताप है कि इस मंदिर में दूर-दूर से लोग मन्नत मांगने आते हैं और लोगों की मन्नतें भी यहां पर पूरी होती हैं। और यही कारण है कि यहां पर हर अमावस्या को भारी भीड़ जमा होती है। पन्ना सहित कई क्षेत्रों से यहां लोग भगवान राम के दर्शन पाने के लिए आते हैं। इस मंदिर का प्रताप है कि जो भी मन्नत यहां मांगी जाती है वह साल भर के अंदर पूरी हो जाती है। कोई अच्छी खेती के लिए मन्नत मांगता है तो कोई अपने ऊपर लगे झूठे केसों आरोपों से बरी होने के लिए मन्नत मांगता है और मन्नत होने पूरी होने पर यहां हजार दीपक के साथ भगवान राम की आरती करता है।

Jyoti

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