Pitru paksha 2020: सप्तमी के दिन पितृदोष से बचाएगी ये विधि

Wednesday, Sep 09, 2020 - 06:01 AM (IST)

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2020 Saptami Shraddha: आश्विन कृष्ण सप्तमी पर सप्तमी का श्राद्ध मनाया जाता है। श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में आत्मा की अमरता का उपदेश दिया है। श्रीमद्भगवत के अनुसार आत्मा जब तक परमात्मा से संयोग नहीं करती, तब तक विभिन्न योनियों में भटकती है। इस अवस्था को अघम कहते हैं। अघम में आत्मा को मात्र श्राद्ध से संतुष्टि मिलती है। शास्त्रनुसार परिवार में किसी की अकाल मृत्यु होने, माता-पिता का अपमान करने, मृत्यु उपरांत माता-पिता का अनुचित क्रिया-कर्म करने व श्राद्धकर्म न करने से पितृदोष लगता है। पितृदोष के कारण पारिवारिक अशांति, वंश वृद्धि बाधा, आकस्मिक रोग, संकट, धन नाश, मनोविकार होते हैं। सप्तमी के विधिवत श्राद्ध कर्म से व्यक्ति के सातों विकार दूर होते हैं तथा पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

सप्तमी श्राद्ध विधि: सप्तमी श्राद्धकर्म में सात ब्राह्मणों को भोजन कराने का मत है। श्राद्ध में गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ व खंड मिश्रित जल की जलांजलि दें। तदुपरांत पितृ पूजन करें। पितृगण के निमित्त, तिल के तेल का दीप करें, सुगंधित धूप करें, लाल फूल, लाल चंदन, तिल व तुलसी पत्र समर्पित करें। जौ के आटे के पिण्ड समर्पित करें। फिर उनके नाम का नैवेद्य रखें। कुशासन में बैठाकर पितृ के निमित्त भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम स्वरूप का ध्यान करते हुए गीता के सातवें आध्याय का पाठ करें व इस विशेष पितृ मंत्र का यथा संभव जाप करें। इसके उपरांत शहद मिश्रित खीर, दलीया, पूड़ी, सात्विक सब्ज़ी, जलेबी, लाल फल, लौंग-ईलायची व मिश्री अर्पित करें। भोजन के बाद ब्राहमणों को वस्त्र, शहद, व दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।


विशेष पितृ मंत्र: ॐ पुरुषोत्तमाय नमः॥


 

 

 

 

 

Niyati Bhandari

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