72 घंटे के चुनाव बैन के दौरान, इस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंची साध्वी प्रज्ञा

Friday, May 03, 2019 - 12:32 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
वैसे तो भारत में बहुत मंदिर हैं मगर इनमें से कुछ ऐसे मंदिर हैं जिनसे जुड़ी मान्यताएं बहुत ही अनोखी और प्राचीन हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भोपाल के भवानी चौक के पास स्थित है। इस मंदिर का नाम सुनने वाला हर इंसान इसके बारे में जानने का इच्छुक हो जाता है। तो चलिए आपकी बेचैनी को और न बढ़ाते हुए आपको बता दें कि इस मंदिर का नाम है कर्फ्यू वाली माता का मंदिर। जी हां, आपको जानकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि ये कैसा नाम है, और इस मंदिर का ऐसा क्या इतिहास होगा। जो इसका नाम कर्फ्यू से जुड़ा हुआ है। इससे पहले कि आपके दिमाग की गाड़ी तेज़ी से भागने लगे पहले ही इसकी ब्रेक लगा दें क्योंकि हम आपके लिए इस मंदिर से जुड़ी वो सारी जानकारी लेकर आएं हैं, जिससे आप घर बैठे-बैठे कर्फ्यू वाली माता के मंदिर से अवगत हो सकेंगे।

भोपाल के पीरगेट में स्थित यह मंदिर न केवल यहां के लोगों का बल्कि देश के कई अन्य शहरों के लोगों की आस्था का केंद्र है। कहा जाता है कि नवरात्र में यहां हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा साल भर यहां दर्शनार्थियों की भीड़ देखने को मिलती है। लोक मान्यताओं के अनुसार मातारानी के इस दरबार में मन्नत के लिए लोग नारियल में अर्ज़ी लिखकर लगाते हैं। माना जाता है कि इससे हर मनोकामना शीघ्र पूरी होती है।

कैसे बनी कर्फ्यू वाली माता
यहां की प्रचिलत कथाओं के अनुसार अश्विन नवरात्र में यहां झांकी बैठती थी, झांकी के सामने मातारानी की प्रतिमा स्थापना को लेकर 1982 में विवाद हो गया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि प्रशासन को यहां कर्फ्यू लगाना पड़ा। कहा जाता है कि कर्फ्यू पूरे एक महीने तक यहां लगा रहा, जिसके बाद यहां देवी प्रतिमा की स्थापना हुई और मंदिर का निर्माण हुआ। कहते हैं तब से इस मंदिर को कर्फ्यू वाली माता के नाम से जाना जाने लगा।

कहा जाता है इस अनोखे नाम वाले मंदिर की साज-सज्जा में अनेक प्रकार की धातुओं का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा यहां शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के सानिध्य में चांदी के श्रीयंत्र की स्थापना की गई है। इसके साथ ही यहां एक स्वर्ण कलश भी है। इन सब के अलावा 130 किलो चांदी का आकर्षक गेट, 18 किलो चांदी की छोटी प्रतिमा, 21 किलो चांदी का सिंहासन इस मंदिर की शोभा को और भी बढ़ाता है। बता दें कि मंदिर के दरवाज़ों और दीवारों पर आधा किलो सोने का वर्क किया गया है।

कैसे दोबारा चर्चा में आया कर्फ्यू वाली माता का मंदिर
भाजपा (BJP) की ओर से भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के इस मंदिर में जाने से ये एक बार फिर यह मंदिर चर्चा में आ गया है। कहा जा रहा है वैसे तो इस मंदिर को 1982 में ही पहचान मिल गई थी लेकिन साध्वी प्रज्ञा के विवादित बयान पर चुनाव आयोग के 72 घंटे के चुनाव बैन के पहले दिन ही उनका इस मंदिर में आना, इसके (मंदिर) लिए चर्चा का मुख्य केन्द्र बन गया।

 

Jyoti

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