सबरीमाला मंदिर: दीवाली के बाद खुल सकता है मंदिर, सख्ती से होगा गाइडलाइन्स का पालन
Tuesday, Sep 15, 2020 - 05:27 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कोरोना के कारण देश के जितने भी प्रसिद्ध मंदिर हैं बंद कर दिए गए थे, जिनमें से कुछ के द्वार तो खोल दिए गए हैं। परंतु अभी भी ऐसे कई मंदिर हैं जिनके कपाट भक्तों के बंद हैं। इन्हीं में से एक प्रसिद्ध मंदिर है सबरीमाला। जहां रोज़ाना लोगों का तांता लगा दिखाई देता था। मगर इस समय ये मंदिर भक्तों कि बिना देखने को मिल रहा है। और बताया जा रहा है अब सरकार की तरफ़ से इसके कपाट दीपावली के बाद खोले जाने का फैसाल लिया गया है। जी हां, इतना ही नहीं मंदिर में दर्शन करने वाले कों सख्ती से गाइडलाइन्स को फॉलो करना होगा। तो वहीं मंदिर की सीमित ने केरल सरकार को दर्शन से पहले 14 दिन और बाद में 10 दिन क्वारैंटाइन करने का सुझाव दिया है। साथ ही साथ सरकार की तरफ़ से ये भी फैसला लिया गया कि 5000 लोगों को ही एक बार में दर्शन की इज़ाजत दी जा सकती है।
हालांकि बता दें अभी मंदिर का प्रबंधन देखने वाला त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड इसे लेकर कुछ स्पष्ट करने की स्थिति में नहीं है। परंतु, बोर्ड के मुताबिक समिति ने सरकार को अपने प्रस्ताव भेजे हैं, जिस पर सरकार अभी विचार-विमर्श करने के बाद फैसला लेगी।
कहा जा रहा है अगर सरकार की तरफ से इस नियम को लागू किया जाता हैं तो यहां दर्शन करने वाले हर श्रद्धालु को लगभग 24 दिन तक क्वारैंटाइन रहना होगा। 14 दिन दर्शन से पहले और 10 दिन दर्शन के बाद।
आगे बताते चलें कि केरल का धर्मस्व और सांस्कृतिक विभाग इस बात को स्पष्ट कर चुका है कि फिलहाल मंदिर में जो पूजाएं हो रही हैं, उसमें किसी को प्रवेश नहीं दिया जाता।
हालांकि 16 से 21 सितंबर तक मंदिर को मासिक पूजा के लिए खोला जाएगा, मगर इसमें अभी किसी श्रद्धालु को प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा। सरकार इस समय गाइडलाइन तय करने पर काम कर रही है।
बता दें सबरीमाला, अयप्पा स्वामी का मंदिर है। शास्त्रों के अनुसार अयप्पा स्वामी भगवान शिव और भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की संतान हैं जो प्राचीन समय में नदी के किनारे राजा को मिले थे। राजा ने उन्हें पुत्र की तरह पाला था। लोक मान्यता है कि अयप्पा स्वामी अविवाहित थे, जिस कारण उनके भवन में महिलाओं का प्रवेश निषेध था।
हर साल नवंबर-दिसंबर में लगभग 30 लाख श्रद्धालु करते हैं दर्शन
मलयालम कैलेंडर में नवंबर-दिसंबर के दो महीने को मंडलम् और मकरविलक्कू माह कहा जाता है। जिस दौरान यहां अयप्पा स्वामी के दर्शन का अधिक
महत्व है। इस दौरान यहां मंदिर में विशेष आयोजन भी संपन्न करवाए। बताया जाता है यहां करीब डेढ़ महीने श्रद्धालुओं का हुजूम रहता है।
विशेष समिति ने दिए हैं ये सुझाव
20 साल से कम और 50 साल से अधिक के लोगों को दर्शनों की इजाजत न मिले।
मंदिर में दर्शन से पहले 14 दिन का क्वारैंटाइन पीरियड हो तथा दर्शन के बाद 10 दिन के लिए क्वारैंटाइन होना ज़रूरी हो।
मंदिर में एक समय में 5000 लोगों को ही मिले प्रवेश की अनुमति।
मंदिर में रोज़ाना हो कोविड-19 टेस्ट।
प्रमुख पूजाओं में केवल 50 लोगों की ही उपस्थिति रहे।
ऑनलाइन अनुमति, वर्चुअल क्यू सिस्टम, प्रसाद और हार-फूल जैसी चीजों की हो मनाही।
लंबे समय विवादों में रहा है सबरीमाला मंदिर
कर्मचारियों पर भी ये लागू हो ये सारे नियम।