Kundli Tv- हिंदू विवाह में सात फेरे ही क्यों...

Sunday, Dec 16, 2018 - 02:11 PM (IST)

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हिंदू धर्म में शादी को 16 संस्कारों में से एक माना जाता है। इसमें होने वाली सभी रस्मों को बहुत महत्व दिया जाता। ज्योतिष के अनुसार इन सभी रस्मों को शादी के दौरान निभाना बहुत ज़रूर होता है। तो आज हम आपको शादी से जुड़ी एक ऐसी ही रस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बिना शादी पूरी नहीं होती। जी हां, आप सही सोच रहे हैं, हम शादी की सबसे अहम रस्म सात फेरों के बारे में। इसके बारे में जानते तो सब हैं, लेकिन ये किसी को नहीं पता कि आखिर शादी में सात फेरों को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि हिंदू धर्म की शादी में सात फेरों की महत्ता। 

आप में से भी बहुत से लोगों ने आमतौर पर यहीं सुना होगा कि शादी के सात फेरों का मतलब होता है कि इसके द्वारा वर-वधू यानि लड़का-लड़की सात जन्मों तक एक-दूसरे के साथ रहने का वचन लेते हैं और वो एक दूसरे से वादा करते हैं कि वे एक-दूसरे का हर हालात में साथ निभाएंगे। ये सब वचन वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर करते हैं।

परंतु बहुत कम लोग जानते होंगे कि शादी में वर-वधू द्वारा अग्नि के समक्ष लिए जाने वाले फेरों की संख्या सात ही क्यों है। तो आपको बता दें कि इसके बारे में ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर में सात केंद्र स्थित होते हैं। योग ज्ञान के मुताबिक, मानव शरीर में ऊर्जा और शक्ति के सात केन्द्र होते हैं, जिन्हें चक्र कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि शादी में वर-वधू सात फेरे लेकर अपनी समस्त ऊर्जा और शक्ति एक-दूसरे को समर्पित करने का वचन लेते हैं। तो वहीं कुछ पौराणिक रस्म-रिवाज़ों की मानें तो शादी के सात फेरों की संख्या सात नहीं होने तक शादी अधूरी ही मानी जाती है। यहीं कारण है कि शादी में सात फेरों को विवाह संस्कार का अहम हिस्सा कहा जाता है।
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Jyoti

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