Rishi Panchami 2024: आज बन रहे हैं 2 शुभ योग, इस तरह पूजा करने से कट जाएंगे जीवन के पाप
punjabkesari.in Sunday, Sep 08, 2024 - 04:00 AM (IST)
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Rishi Panchami: पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पंचमी के दिन ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन ऋषियों की पूजा और उनकी स्तुति के लिए समर्पित होता है। इस दिन विशेष रूप से ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के साथ सप्तर्षियों की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में ऋषियों को अत्यंत सम्मानित स्थान प्राप्त है। ये महान संत, जिन्होंने धार्मिक और ज्ञानवर्धक के क्षेत्र में अपार योगदान दिया, मानवता के मार्गदर्शक माने जाते हैं। उनके तप और ज्ञान की बदौलत ही हमें धर्म, संस्कृति और आचार-व्यवहार के बारे में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत ही खास माना जाता है क्योंकि ये व्रत रखने से मासिक धर्म के दौरान हुई गलती के पापों से मुक्त कराता है। आज 8 सितंबर को ये व्रत रखा जाएगा। तो चलिए जानते हैं पूजा का मुहूर्त और शुभ योग।
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त: प्रातः 11:03 से दोपहर 01:34 तक ।
ऋषि पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:31 से 05:17 तक।
ऋषि पंचमी का शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:53 से दोपहर 12:43 तक
Rishi Panchami Auspicious Yoga ऋषि पंचमी शुभ योग 2024
आज दो शुभ योगों का निर्माण होने जा रहा है। पहला शुभ योग और दूसरा रवि योग। शुभ योग सुबह से शुरू होगा और दोपहर 12:5 बजे तक रहेगा। रवि योग दोपहर 3:31 बजे से अगले दिन सुबह 6:31 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को बेहद ही शुभ माना जाता है। इस योग में पूजा करने से ज्यादा जल्दी और दोगुना फल प्राप्त होता है। इसके अलावा नक्षत्र सुबह से 15:31 बजे तक रहेगा।
Pooja Vidhi पूजन विधि
ऋषि पंचमी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ़ करें।
इसके बाद सप्तर्षियों की प्रतिमाओं या चित्रों को पूजा स्थल पर रखें।
पूजा के दौरान पंचामृत से भगवान और ऋषियों का अभिषेक करें। इसके बाद, भगवान की आरती करें और दीपक जलाएं।
पूजा के दौरान विशेष भोग का अर्पण करें। जैसे कि ताजे फल, मिठाई, और अन्य पकवान। इनको भगवान को अर्पित करें और फिर परिवार के सभी सदस्य मिलकर उन्हें ग्रहण करें।
Significance of Rishi Panchami ऋषि पंचमी महत्व
ऋषि पंचमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को भी दर्शाता है। यह दिन पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करने, परिवार की एकता को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का अवसर प्रदान करता है। ऋषि पंचमी व्रत का आयोजन ऋषियों के प्रति श्रद्धा, पापों की समाप्ति, और धार्मिक परंपराओं को संजोने के उद्देश्य से किया जाता है। व्रत के दिन की गई पूजा और उपासना से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।