जब गणेश जी को ठग कर ले गई बुढ़िया

Wednesday, Feb 20, 2019 - 12:25 PM (IST)

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हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव माना गया है। हर शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश को पहले पूजा जाता है। ताकि हर काम बिना किसी विघ्न के पूरा हो सके। कहते हैं कि गणपति जी की अगर सच्चे मन से आराधना की जाए तो वे अपने भक्तों के सारे कष्ट दूर कर देते हैं। आज हम आपको भगवान गणेश और उनके भक्त से जुड़ी एक ऐसी पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें ये बताया गया है कि कैसे एक भक्त बुढ़िया ने अपनी चालाकी से भगवान को खुश करके जीवन का हर सुख पा लिया। तो आइए जानते है उस कथा के बारे में-

एक पौराणिक कथा के अनुसार किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन थी। उसके साथ उसका एक बेटा और बहू रहते थे। वह बुढ़िया भगवान गणेश की बहुत बड़ी भक्त थी और सदैव गणेश जी की पूजा-अर्चना में लगी रहती थी। एक दिन भगवान उसकी सेवा से प्रसन्न हुए और उसे दर्शन देकर, एक वर मांगने को कहा। 

बुढ़िया ने कहा कि मुझे तो मांगना नहीं आता, क्या और कैसे मांगू? इस पर भगवान ने कहा आप किसी से पूछ लें या किसी का सुझाव ले लो।  

तब उस बुढ़िया ने अपने बेटे और बहू से पूछा तो उन्होंने बहुत सारा धन और पोता मांगने को कहा। तब बुढ़िया ने सोचा कि ये लोग अपने मन की बात कह रहे हैं। तब उसने विचार किया कि मेरा जीवन पता नहीं कब खत्म हो जाए तो क्यों ना मैं अपने हित के लिए कुछ मांग लूं।

बहुत सोचने पर बुढ़िया ने भगवान से कहा कि यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया, निरोगी काया, अमर सुहाग, आंखों की रोशनी नाती-पोत और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष प्रदान करे। 

यह सुनकर तब गणेश जी बोले कि माता आपने तो हमें ठग ही लिया। लेकिन फिर भी जो आपने मांगा है वचन के अनुसार सब आपको मिलेगा और यह कहकर गणेश जी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया मां ने जो कुछ मांगा वह सब कुछ मिला और उसने अपना बाकी का बचा जीवन खुशी-खुशी व्यतीत किया। 
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Lata

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