सबसे पहले पूजे जाने वाले गणपति को क्यों कहा जाता है पाताल का राजा

Wednesday, Jan 02, 2019 - 03:28 PM (IST)

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हिंदू धर्म में वैसे तो बहुत से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। लेकिन फिर भी प्रथम पूज्य भगवान गणेश को ही माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में गणपति से जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएं मिलती हैं जिनके बारे में कम लोगों को ही पता होगा। आज हम आपको गणेश से जुड़ी एक ऐसी रोचक कथा के बारे में बताएंगे जिससे ये पता चलेगा कि भगवान कैसे पाताल लोक का राजा बने। तो चलिए जानते हैं उस कथा का बारे में-

एक बार गणपति ऋषि मुनि पुत्रों के साथ पाराशर ऋषि के आश्रम में खेल रहे थे। तभी वहां कुछ नाग कन्याएं आई और गणेश जी से आग्रह करने लगी कि वे उनके साथ उनके लोक चलें। गणपति भी उनका आग्रह ठुकरा नहीं सके और उनके साथ चले गए। नाग लोक पहुंचने पर नाग कन्याओं ने उनका हर तरह पूजन और सत्कार किया। तभी नागराज वासुकी ने गणेश को देखा और मज़ाक के भाव से वे गणेश से बात करने लगे,  उनके रूप का वर्णन करने लगे। गणेश को जब इस बात का आभास हुआ तो उन्हें क्रोध आ गया। उन्होंने वासुकी के फन पर पैर रख दिया और उनके मुकुट को भी स्वयं पहन लिया।

जब वासुकी की दुर्दशा के बारे में उनके बड़े भाई शेषनाग को पता चला तो वे वहां पर जल्दी से पहुंच गए। उन्होंने वहां आकर जोर से गर्जना की कि किसने मेरे भाई के साथ इस तरह का व्यवहार किया है। उनकी वाणी को सुनकर गणेश उनके सामने आ गए। लेकिन जैसे ही शेषनाग ने उनको देखा तो वे उन्हें पहचान गए और उनका पूरे दिल से अभिवादन करने लगे। उन्होंने भगवान गणेश के सिर पर मुकुट देखकर ही उन्हें नागलोक यानि पाताल का राजा घोषित कर दिया।

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