जानें, कैसे मिला भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र

Thursday, Feb 14, 2019 - 03:44 PM (IST)

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भगवान श्री हरि के हर चित्रपट और स्वरूप में उन्हें सुदर्शन चक्र धारण किए हुए देखा जाता है। शास्त्रों में सुदर्शन चक्र को भगवान विष्णु का अमोघ शस्त्र बताया है। सुदर्शन चक्र अस्त्र के रूप में प्रयोग किया जाने वाला एक ऐसा चक्र है जो चलाने के बाद ही अपने लक्ष्य पर पहुंचकर वापिस आता है। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि भगवान को सुदर्शन चक्र कैसे, कब और क्यों मिला। पुराणों में इसके बारे में उल्लेख मिलता है कि सुदर्शन चक्र भगवान शिव ने श्री हरि को वरदान के रूप में दिया था। सुदर्शन चक्र की सहायता से भगवान विष्णु ने अपने कृष्ण अवतार में राक्षसों और अधम व्यक्तियों को परलोक पहुंचाया। इसके अलावा और भी कई अवतारों में उन्होंने इस चक्र की मदद से हर अज्ञानी और मूर्ख को सबक सिखाया था। सुदर्शन चक्र की प्राप्ति को लेकर एक कथा प्रचलित है जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे। तो आइए जानते हैं उस कथा के बारे में-

एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु भोलेनाथ का पूजन करने के लिए काशी पहुंचे और संकल्प लिया कि एक हजार स्वर्ण कमल फूलों से भगवान शिव का पूजन करेंगे। इसी बीत भोलेनाथ ने श्री हरि की परीक्षा लेने के लिए एक हजार कमल के फूलों में से एक फूल कम कर दिया। शिव का अभिषेक करने के बाद जब भगवान विष्णु कमल के फूल अर्पित कर रहे थे तो उन्हें आभास हुआ कि एक फूल की कमी है तो उन्होंने सोचा कि मेरी आंखें ही कमल के समान हैं तो एक कमल न होने के कारण अपनी एक आंख ही फूल की जगह भोलेनाथ को अर्पित करता हूं। ऐसा सोचकर जैसे ही भगवान विष्णु अपनी आंख चढ़ाने के लिए तैयार हुए तभी वहां भगवान शिव प्रकट हो गए और श्री हरि से कहा कि आपके सामान मेरा कोई दूसरा भक्त नहीं हुआ। मैं आपकी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं।

भोलेनाथ ने प्रसन्नता पूर्वक श्री हरि को कहा कि आज की यह कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अब से बैंकुठ चतुर्दशी के नाम से जानी जाएगी और जो भई कोई व्यक्ति इस दिन व्रत पूजन पहले आपका और बाद में मेरा करेगा उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होगी। तब प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र भी प्रदान किया और कहा कि यह चक्र राक्षसों का विनाश करने वाला होगा। 

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