कैसे धरती पर अवतरित हुई मां गंगा

Monday, Jan 14, 2019 - 05:37 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा(video)
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। भगवान शंकर अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले देव माने गए हैं। इसलिए इन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। भगवान शिव ही आदि और अनंत हैं जो पूरे ब्रह्मांड के कण-कण में विद्यमान हैं। भोलेनाथ एक ऐसे देव हैं जो एक लोटा जल अर्पित करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। जिस पर भगवान शिव की कृपा हो जाती है उसके हर कष्ट दूर हो जाते हैं। आज हम आपको इनके बारे में एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं जो शायद बहुत कम लोग जानते होंगे। तो चलिए जानते हैं कैसे भोलेनाथ ने गंगा को अपने सिर पर विराजमान किया।

एक पौराणिक कथा के अनुसार भागीरथ एक प्रतापी राजा थे। उन्होंने अपने पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने की ठानी। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। उनके तप से गंगा प्रसन्न हुईं और स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गईं। लेकिन  उन्होंने भागीरथ से कहा कि यदि वे सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरेंगीं तो पृथ्वी उनका वेग सहन नहीं कर पाएगी और रसातल में चली जाएगी। ये सुनकर भागीरथ सोच में पड़ गए। गंगा को यह अभिमान था कि कोई उसका वेग सहन नहीं कर सकता। तब भागीरथ ने भोलेनाथ की उपासना शुरू कर दी। संसार के दुखों को हरने वाले शिव शम्भू थोड़े से तप से ही खुश हो जाते हैं तो वे भागीरथ की तपस्या से भई जल्द प्रसन्न हुए और भागीरथ से वर मांगने को कहा। भागीरथ ने अपना सारा मनोरथ उनसे कह दिया।

अब जैसे ही गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं तो गंगा का अभिमान दूर करने के लिए शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में कैद कर लिया। वह बहुत छटपटाने लगी और शिव से माफी मांगी। तब शिव ने उन्हें अपनी जटा से एक छोटे से पोखर में छोड़ दिया, जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं।

कौन है GOLDEN BABA, क्या आप इनके बारे में जानते हैं ?(video)
 

Lata

Advertising