Kundli Tv- इनके दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है काशी विश्वनाथ की यात्रा
Sunday, Oct 21, 2018 - 05:11 PM (IST)
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। काशी नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित पौराणिक नगरी है। इसे भारत के सबसे पुरानी नगरों में से एक माना जाता है। यहां स्वयं बाबा विश्वनाथ विराजमान हैं, जिनके दर्शनों के लिए सालभर लोग आते हैं। लेकिन हम आपको यहां के एेसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपको शायद किसी को पता नहीं है।
कहा जाता है कि काशी में विश्वनाथ के दर्शन करने आए यहां बाबा भैरव के दर्शन नही करते तो बाबा विश्वनाथ के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। बता दें कि भैरव का यह मंदिर वाराणसी के कमच्छा क्षेत्र के अपने दो रूपों में विराजमान हैं।
मान्यताओं के अनुसार इनके दोनों रूपों के दर्शन करने से हर तरह की ग्रह बाधा दूर होती है और पुत्र प्राप्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। रविवार के दिन भक्तों की भारी भीड़ भैरव बाबा के दर्शन के लिए उमड़ती है। मंदिर परिसर के अंदर प्रवेश करते ही बाईं ओर बटुक भैरव की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। लोगों का मानना है की बटुक भैरव के दर्शन से भय से मुक्ति मिलती है। भैरव बाबा के पहले रुप के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। बाबा भैरव नाथ का पहला रुप उनका बाल रुप है, कहा जाता है कि इनके दर्शन से पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा पूरी हो जाती है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की अगर कोई भक्त 21 मंगलवार या रविवार इनके दरबार में हाजिरी लगाये तो बाबा उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं।
इसी मंदिर के दूसरे हिस्से में भैरव आदि भैरव के रुप में विराजते हैं। भैरव का यह रूप भी बाल रूप है। कहते हैं इनके दर्शन से राहु केतु की बाधा दूर हो जाती है और भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। मंदिर के पुजारी का कहना है की यहां दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
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