हनुमान जी के पंचमुखी होने का रहस्य क्या जानते हैं आप ?
Tuesday, Aug 27, 2019 - 03:32 PM (IST)
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हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा का दिन माना जाता है। कहते हैं कि इनकी पूजा-अर्चना करने से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए प्रत्येक मंगलवार को इनकी आराधना करनी चाहिए। अक्सर आप सबने हनुमान जी के कई रूपों के दर्शन किए होंगे और इसके साथ ही उनके पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा के भी दर्शन किए होगें। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि उनका यह पंचमुखी रूप क्यों धारण किया था? आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा को विस्तार से।
पौराणिक कथा के अनुसार जब राम और रावण की सेना के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था और रावण अपने पराजय के समीप था तब इस समस्या से उबरने के लिए उसने अपने मायावी भाई अहिरावन को याद किया। जोकि मां भवानी का परम भक्त होने के साथ-साथ तंत्र-मंत्र का बड़ा ज्ञाता था। उसने अपने माया के दम पर भगवान राम की सारी सेना को निद्रा में डाल दिया तथा राम एंव लक्ष्मण का अपहरण कर उनको पाताल लोक ले गया। कुछ घंटे बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब विभिषण ने यह पहचान लिया कि यह कार्य अहिरावन का है और उसने हनुमानजी को श्री राम और लक्ष्मण सहायता करने के लिए पाताल लोक जाने को कहा।
जब पाताल लोक हनुमान जी पहुंचे तो उन्हें द्वार पर उनका पुत्र मकरध्वज मिला और हनुमान जी ने उन्हें युद्ध में हराया और बंधक बने श्री राम और लक्ष्मण से मिले। वहां उन्होंने देखा कि पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले, जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा।
उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर राम, लक्ष्मण को उससे मुक्त किया।