आप में है ये अनोखी बात, तभी किसी जरूरतमंद को करें दान
punjabkesari.in Saturday, May 24, 2025 - 02:42 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Religious Katha: महात्मा अबुल अब्बास खुदा में आस्था रखने वाले व्यक्ति थे। वह टोपियां सिल कर जीवनयापन करते थे। टोपियों की सिलाई से मिलने वाली आय में से आधा हिस्सा वह किसी जरूरतमंद को दे देते थे और आधे से खुद का गुजर-बसर करते थे। एक दिन उनके एक धनी शिष्य ने उनसे पूछा, ‘‘महात्मा जी, मैं अपनी कमाई में से कुछ पैसा दान करना चाहता हूं। मैं दान किसे दूं?’’
महात्मा अब्बास ने कहा, ‘‘जिसे तुम सुपात्र समझो, उसी को दान कर दो।’’
धनी शिष्य ने एक अंधे भिखारी को सोने की एक मोहर दान में दे दी। दूसरे दिन धनी शिष्य फिर उसी रास्ते से गुजरा तो उसने देखा अंधा भिखारी दूसरे भिखारी से कह रहा था, ‘‘कल मुझे भीख में सोने की एक मोहर मिली। मैंने उससे खूब मौज-मस्ती की और शराब पी।’’
यह सुनकर धनी शिष्य को बुरा लगा। वह महात्मा अब्बास के पास पहुंचा और उन्हें पूरी बात कह सुनाई। महात्मा अब्बास ने उसे अपनी कमाई का एक सिक्का दिया और कहा कि इसे किसी याचक को दे देना। धनी शिष्य ने वह सिक्का एक याचक को दे दिया और कौतुहलतावश उसके पीछे-पीछे चल दिया।
कुछ दूर जाने के बाद याचक एक निर्जन स्थान पर गया और अपने कपड़े में छुपाए हुए एक पक्षी को निकाल कर उड़ा दिया। धनी शिष्य ने याचक से पूछा कि तुमने इस पक्षी को क्यों उड़ा दिया ?
याचक बोला, ‘‘मैं तीन दिन से भूखा था, आज इस पक्षी का सेवन करता, मगर आपने एक सिक्का दे दिया तो अब इस मासूम की हत्या करने की कोई जरूरत नहीं रही।’’
शिष्य महात्मा अबुल अब्बास के पास गया और पूरा वृतांत सुनाया। तब उन्होंने कहा, ‘‘तुम्हारा धन गलत विधि से कमाया गया था, इसलिए उसका गलत उपयोग हुआ। मेरा पैसा श्रम से कमाया गया था, उसने एक व्यक्ति को गलत काम करने से बचा लिया।’’
यह सच है कि मेहनत एवं ईमानदारी से कमाए हुए पैसे का फल भी हमें उत्तम एवं सही मिलता है।