Religious Katha: भगवान को प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले ध्यान से अधिक इस पहलु पर दें बल

Sunday, Jul 16, 2023 - 09:25 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Religious Katha: संत ज्ञानेश्वर नदी के पावन तट पर बैठे भगवन्नाम का जाप कर रहे थे। उनसे कुछ दूरी पर बैठे एक अन्य संत भी आंखें बंद कर भगवान का ध्यान कर रहे थे। नदी में स्नान के लिए आए एक बच्चे का पैर फिसला और वह जल के तेज बहाव में बहने लगा।



बच्चा चिल्लाया, ‘‘बचाओ, मुझे डूबने से बचाओ।

ध्यान कर रहे संत ने बच्चे की आवाज सुनी, नदी में बहते बच्चे को देखा और पुन: आंखें बंद कर ध्यान में लग गए।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें



संत ज्ञानेश्वर उठे और तुरंत नदी में कूद गए। गहरे जल में डूबने की परवाह किए बिना वे बच्चे को बचा लाए।

संत ज्ञानेश्वर ने ध्यान में बैठे महात्मा से कहा, ‘‘क्या तुमने दर्शन देने आए बालरूपी भगवान कृष्ण की आवाज नहीं सुनी ?

भगवान बालक का रूप धारण कर तुम्हारी परीक्षा लेने आए थे कि ‘‘तुम्हारे हृदय में करुणा भावना है कि नहीं। किसी निरीह बच्चे को संकट में देखकर, उसकी चीख-पुकार सुनकर भी आंखें बंद किए रखना ध्यान नहीं, पाखंड है।



महात्मा की आंखें खुल गईं।

उन्होंने संत ज्ञानेश्वर के समक्ष संकल्प लिया कि वह आज से सेवा और सहायता को सर्वोपरि धर्म मानेंगे।

Niyati Bhandari

Advertising