Religious Katha: ये सूफी कथाएं पढ़ने के बाद अपनी समस्याएं खत्म समझो

Thursday, Jul 20, 2023 - 08:24 AM (IST)

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Religious Katha: सादत मशहूर सूफी दरवेश थे। लोगों की भीड़ और शोर-शराबे से बचने के लिए वह पहाड़ों में जा बसे। लोग उनका पीछा करते-करते वहां तक भी जा पहुंचे। प्रत्येक की अपनी-अपनी समस्याएं थीं और सभी उनसे अपनी परेशानियों का हल चाहते थे। सादत शांति से उनकी बातें सुनते रहे। फिर उन्होंने अचानक चिल्लाकर कहा, ‘‘चुप हो जाओ।’’

आवाज का इतना असर था कि चारों ओर सन्नाटा छा गया। सादत ने आगे कहा, ‘‘सभी घेरा बनाकर बैठ जाएं और मेरी वापसी का इंतजार करें।’’

यह कह कर वह अपनी कुटिया में चले गए। कुछ समय बाद वह अपने साथ कलमें, कागज और एक टोकरी लेकर वापस आ गए। उन्होंने सबको कागज, कलम पकड़ा कर टोकरी बीच में रख दी। फिर कहा, ‘‘अपनी-अपनी मुश्किलें लिख कर टोकरी में डाल दें।’’

लोगों ने ऐसा ही किया। सादत ने टोकरी में सभी कागज मिला दिए और सभी से कहा, ‘‘इस टोकरी में से एक-एक कागज उठा लो और अपने हिस्से में आई किसी दूसरे की समस्या ध्यान से पढ़ो।’’

‘‘इसकी तुलना अपनी समस्या से करो या तो दूसरे की समस्या को अपनी समझ लो या फिर अपनी समस्या खत्म समझो।’’

लोगों ने एक-एक कागज उठाया और खोल कर पढ़ने लगे। अपने हिस्से में आई दूसरे की समस्या को पढ़ कर हर एक व्यक्ति डर गया। प्रत्येक को लगा कि उसकी अपनी समस्या दूसरे की तुलना में काफी आसान है। थोड़ी ही देर में सभी आपस में दूसरों की समस्या पर चर्चा करने लगे।

प्रत्येक व्यक्ति  दूसरे की समस्या वाले कागज को वापस देने और अपनी समस्या वाले कागज को लेकर संतुष्ट नजर आने लगा। अंत में सभी ने सादत का धन्यवाद किया और शांति से वापस लौट गए।

एक धुंधली-सी ‘रोशनी’
एक प्रसिद्ध सूफी संत का पता पूछने के लिए एक औरत गांव पहुंची। गांव वालों ने बताया कि गांव की उत्तर दिशा में एक पहाड़ी क्षेत्र है, वहीं एक सूफी संत रहता है।

उस महिला को वहां पहुंचते-पहुंचते अंधेरा हो गया।

अंधेरे में उस महिला को एक रोशनी की किरण दिखाई दी तो उसे महसूस हुआ कि शायद वहीं सूफी संत से मुलाकात होगी।
रोशनी के निकट पहुंच कर वह हैरान हो गई। वहां कोई भी नहीं था। वह औरत निराश होकर पीछे मुड़ने लगी। अचानक उसे एक और धुंधली-सी रोशनी दिखाई पड़ी।

औरत उस ओर बढ़ने लगी। निकट आकर उसने सूफी संत को किताब पढ़ते देखा। औरत ने उससे पूछा, ‘‘वहां अच्छी-भली रोशनी है, आप उसे छोड़कर धुंधली-सी रोशनी में किताब पढ़ रहे हो?’’ 

उस रोशनी को मैंने कीट-पतंगों के लिए छोड़ रखा है ताकि मैं यहां धुंधली-सी रोशनी में आराम से पढ़ सकूं।’’ सूफी संत ने उसे जवाब दिया।

Niyati Bhandari

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