अपवित्र होकर भी पवित्र मानी जाती हैं ये 4 चीज़ें

Monday, Feb 04, 2019 - 03:21 PM (IST)

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हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से ग्रंथ हैं जिनसे हमें बहुत कुछ जानने को मिलता है। उन्हीं ग्रंथों में से एक है विष्णु स्मृति। विष्णु स्मृति के अनुसार कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो अपवित्र होने के बाद भी पवित्र मानी जाती हैं। ये हमें जानवर, पक्षी और कीड़ों के मल, उल्टी और उनके मरने से मिलती है। तो आइए जानते हैं उन चीज़ों के बारे में जिनका इस्तेमाल हम अपनी रोज़ाना की दिनचर्या में करते आ रहे हैं। 

श्लोक
उच्छिष्टं शिवनिर्माल्यं वमनं शवकर्पटम्।
काकविष्टा ते पञ्चैते पवित्राति मनोहरा॥

अर्थः उच्छिष्ट, शिव निर्माल्यं, वमनम्, शव कर्पटम्, काकविष्टा, ये पांचो चीज़ें अपवित्र होते हुए भी पवित्र है।

जूठनः जैसे कि गाय का दूध पहले उसका बछड़ा पीता है। अगर देखा जाए तो वो बछड़े का जूठन हो जाता है। लेकिन फिर भी उस पवित्र माना जाता है। तभी तो गाय के दूध से बनी चीज़ों का भोग भगवान को लगाया जाता है।

शहदः हम शहद का इस्तेमाल बहुत सी चीज़ों में करते हैं वो भी अपवित्र होने के बावजूद पवित्र ही माना गया है। जब मधुमक्खी फूलों का रस लेकर अपने छत्ते पर आती है तब वो अपने मुख से उसे निकालती है यानि उस रस की उल्टी करती है और जिससे शहद बनता है। लेकिन फिर भी इसे भगवान के पंच अमृत बनाने में प्रयोग किया जाता है।

रेशमी वस्त्रः जब भी हम कोई मांगलिक काम या पूजा-पाठ करते हैं तो उसमें इस्तेमाल होने वाला वस्त्र भी पवित्र माना जाता है। जबकि रेशम को बनाने के लिए उसको उबलते पानी मे डाला जाता है और इससे उसमें रहने वाला रेशम का कीड़ा मर जाता है। उसके बाद रेशम मिलता है तो इस प्रकार शव कर्पट हुआ लेकिन यह फिर भी पवित्र है।

पीपलः कौवा पीपल आदि पेड़ों के फल खाता है और उन पेड़ों के बीज अपनी विष्ठा यानि मल में इधर-उधर छोड़ देता है जिससे पेड़ों की उत्पत्ति होती है। इसी तरह पीपल भी काक विष्ठा यानि कौए के मल में निकले बीजों से पैदा होता है लेकिन फिर भी इसे पवित्र माना गया है।
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