आप भी रखती हैं खुले बाल तो ये पढ़ना न भूलें

Thursday, Dec 26, 2019 - 02:23 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
फैशन और मार्डन ज़माने में आज कल हर कोई अपने आप को इस तरह से कैरी करना चाहता है कि वो सोसाइटी में ट्रेंडी लगे। इस रेस में कोई पीछे नहीं रहना चाहते न लड़के न लड़कियां। मगर आज हम बात करने वाले हैं लड़कियों से संबंधित कुछ खास बातों के बारे में। आप में से बहुत सी लड़िकयां होंगी जो आज कल बालों को बांधना पसंद नहीं करती होंगे। अक्सर देखा भी जाता है आज के समय में लगभग हर महिला व लड़की के बाल खुले ही रहते हैं। अब इसे फैशन कहना गलत नहीं होगा। कयोंकि इन्हें लगता है चोटी बांधने से ये पुराने ज़माने की पुराने ख्यालों वाली लगेंगी। अब इनकी ये सोच गलत नहीं है वो इसलिए क्योंकि इन्हें ये नहीं सनातन धर्म में चोटी बांधनी की धार्मिक परंपरा है। शायद आपको जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन ये सच है।

इसी परंपरा के चलते न केवल महिलाएं बल्कि प्राचीन समय में पुरुष भी चोटी रखते थे जिसे शिखा कहते थे। दरअसल सनातन धर्म मे बताया गया है कि चोटी बांधना केवस श्रृंगार नहीं बल्कि इससे मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। प्राचीन समय में ऋषि-मुनि या अन्य विद्वान पुरूषों की पहचान उनकी शिखा ही हुआ करती थी। कुछ ऐसे भी युवक-युवती हैं जो आजकल चोटी बांधते तो हैं पर  इसे बांधने से प्राप्त होने वाले लाभ से वाकिफ़ नहीं है।

सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लोग शायद इस बात से अंजान नहीं होंगे कि हर कर्म कांड के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी होते हैं। चोटी बांधने के पीछे भी धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक लाभ छिपे हुए हैं। आज अपने इस आर्टकिल में हम आपको इन दोनों कारणों के बारे में बताएंगे। पहले बात करते हैं कि चोटी बांधने से संबंधित धार्मिक महत्व के बारे में।


हिंदू धर्म के ग्रंथों व शास्त्रों की मानें तो जिस प्रकार अग्नि के बिना कोई हवन पूर्ण नहीं होता है ठीक उसी प्रकार चोटी या शिखा के बिना कोई धार्मिक कार्य पूर्ण नहीं होता है। सभी धार्मिक कर्मकाण्डों के लिए ये एक अनिवार्य मानी जाती है। शास्त्रों में इसे ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना गया है और कहते हैं इससे व्यक्ति की बुद्धि नियंत्रित होती है। साथ ही चोटी बांधने से पूजा करते वक्त मन की एकाग्रता बनी रहती है।  इतना ही नहीं शिखा रखने से मनुष्य धार्मिक, सात्त्विक और संयमी बना रहता है। जो मनुष्य शिखा रखता है देवता भी उसकी रक्षा करते हैं।

अब बात करते हैं विज्ञान की दृष्टि से, जिस स्थान पर चोटी बांधी जाती है, सिर का वो भाग बेहद संवेदनशील होता है। जिससे मस्तिष्क और बुद्धि नियंत्रित रहती है। महिलाओं के चोटी बांधना अधिक हितकारी माना गया है क्योंकि पुरुषों की अपेक्षा में महिलाओं का मस्तिष्क अधिक संवेदनशील होता है। सिर पर चोटी होने से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा का असर महिलाओं के मन-मस्तिष्क को प्रभावित नहीं कर पाता।

वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे मस्तिष्क के दो भाग होते हैं। इन दोनों भागों के संधि स्थान यानि दोनों भागों के जुड़ने की जगह बहुत संवेदनशील होती है। ऐसे में इस भाग को अधिक ठंड या गर्मी से सुरक्षित रखने के लिए भी चोटी बनाई जाती है।

Jyoti

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