क्या सच में माता लक्ष्मी और भोलेनाथ में ये रिश्ता था?

Thursday, Jul 18, 2019 - 10:37 AM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुरुआत 17 जुलाई से हो चुकी है। इस महीने भोलेनाथ की पूजा की जाती है और साथ ही उन्हें प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय किए जाते हैं। बहुत से लोग पूरे महीने व्रत करते हैं और भोले बाबा की स्तुति और कथाएं पढ़ते व सुनते रहते हैं। ऐसे में आज हम आपको शिव जी से जुड़ी एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में शायद ही आप लोगों ने कभी सुना होगा। भगवान शिव और माता लक्ष्मी के बीच कौन सा रिश्ता था? हालांकि पुराणों की कथाओं में इतना विरोधाभास है कि सच जानना बहुत मुश्किल होता है। आइए जानें-

ब्रह्मा के एक पुत्र का नाम दक्ष प्रजापति था। उनकी कई पुत्रियां थीं और एक पुत्री सती का विवाह भगवान शंकर से हुआ और दूसरी पुत्री ख्याति का विवाह ऋषि भृगु से हुआ। मतलब यह कि भगवान शंकर और ऋषि भृगु आपस में साढ़ू भाई हुए। भृगु-ख्याति की पुत्री का नाम श्री लक्ष्मी था। साढ़ू भाई की पुत्री भी पुत्री समान होती है तो ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या भगवान शंकर माता लक्ष्मी के मौसा जी है?

जी हां, देवी भागवत के चतुर्थ स्कंध विष्णु पुराण, अग्नि पुराण, श्रीमद् भागवत में खंडों में बिखरे वर्णन के अनुसार महर्षि भृगु प्रचेता-ब्रह्मा के पुत्र हैं, इनका विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री ख्याति से हुआ था जिनसे इनके दो पुत्र काव्य शुक्र और त्वष्टा तथा एक पुत्री श्रीलक्ष्मी का जन्म हुआ और बाद में इनकी पुत्री श्री लक्ष्मी का विवाह श्री हरि विष्णु से हुआ।

उल्लेखनीय है कि एक कथा के अनुसार शिव और पार्वती के पुत्र भगवान गणेश माता लक्ष्मी के 'दत्तक-पुत्र' भी हैं। कहते हैं कि विष्णु जी ने एक बार लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती तब तक वह पूर्ण नहीं होती और आप नि:सन्तान होने के कारण अपूर्ण है।

इस बात को जानकर माता लक्ष्मी को बहुत दु:ख हुआ। उन्होंने अपना दुःख पार्वती को बताया और उनसे उनके दो पुत्रों में से गणेश को उन्हें गोद देने को कहा। माता लक्ष्मी का दु:ख दूर करने के लिए पार्वती जी ने अपने पुत्र गणेश को उनकी गोद में दे दिया और तभी से भगवान गणेश माता लक्ष्मी के दत्तक-पुत्र माने जाने लगे। 

Lata

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