Thursday का दिव्य दर्शन: श्रीकृष्ण के मुख से, जानें मरने के बाद नहीं होगा पुनर्जन्म

Wednesday, Feb 01, 2017 - 09:59 AM (IST)

श्रीकृष्ण भागवत गीता के अध्याय 15, श्लोक 6 में वैकुंड के बारे में बताते हुए अर्जुन से कहते हैं कि, जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को सूर्य, चंद्र व अग्नि प्रकाशित नहीं कर सकता है, वही मेरा परम धाम है। आगे श्रीकृष्ण अध्याय 8 के 16वें श्लोक में बताते हैं कि बाकी सभी लोक पुनरावर्ती हैं, परंतु मुझको प्राप्त होकर पुनर्जन्म नहीं होता, क्योंकि मैं कालातीत हूं व बाकी लोक काल द्वारा सीमित होने से अनित्य हैं। आगे श्री कृष्ण अध्याय 8 के 21वें श्लोक में बताते हैं कि अव्यक्त 'अक्षर' इस नाम से कहा गया है, उसी अक्षर नामक अव्यक्त भाव को परमगति कहते हैं तथा जिस सनातन अव्यक्त भाव को प्राप्त होकर मनुष्य वापस नहीं आते, वह मेरा परम धाम वैकुंड है।

 

पूजन: भगवान विष्णु का आवाहन करें। भगवान विष्णु को आसन दें। अब भगवान विष्णु को पंचामृत और जल से स्नान कराएं। घी का दीपक लगाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब तिलक करें। तिलक के लिए अष्टगंध का प्रयोग करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें। भगवान विष्णु की आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। भगवान विष्णु के पूजन के समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें।

 

मंत्र: ॐ वैकुण्ठाय नमः।

 

मंत्र संसाधन: श्री विष्णु अष्टोत्तरशत नामावली

 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

Advertising