Scriptures & Scientific reason to avoid cumin in Margashirsha: न केवल शास्त्र, विज्ञान भी कहता है मार्गशीर्ष मास में न खाएं जीरा
punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 07:14 AM (IST)
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Reason to avoid cumin in Margashirsha: मार्गशीर्ष मास संयम, शुद्धता और ईश्वर भक्ति का काल है। इस समय जीरे जैसे उष्ण व उत्तेजक मसालों का त्याग शरीर को शांत रखता है और साधना की ऊर्जा को स्थिर करता है। शास्त्र और विज्ञान दोनों यही कहते हैं कि मार्गशीर्ष मास में जीरा न खाना एक धार्मिक अनुशासन ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक स्वास्थ्य नियम भी है।

According to the scriptures, consuming cumin is prohibited during the month of Margashirsha शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष मास में जीरा खाने की मनाही
मार्गशीर्ष मास भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। यह महीना तप, जप और ध्यान का प्रतीक माना गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस पवित्र मास में तीक्ष्ण रस या उष्ण प्रवृत्ति वाले खाद्य पदार्थों का सेवन साधना में बाधक माना गया है।

जीरा (Cumin) को उष्ण, पित्तवर्धक और इंद्रियों को उत्तेजित करने वाला पदार्थ बताया गया है। इसलिए इस माह में इसका सेवन त्याज्य है। इसका उद्देश्य शरीर और मन दोनों को शांत, सात्विक और भक्ति के अनुकूल रखना है।

Scientific reasons why cumin is harmful during the month of Margashirsha वैज्ञानिक कारण जीरा क्यों हानिकारक है मार्गशीर्ष मास में मार्गशीर्ष का महीना शीत ऋतु में आता है, जब शरीर का तापमान और पाचन अग्नि स्वाभाविक रूप से संतुलित रहती है।

जीरा उष्ण प्रकृति का होता है, जिससे शरीर में पित्त और अम्लता (acidity) बढ़ सकती है। इससे ध्यान, नींद और मानसिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस समय हल्का, ठंडा और सात्त्विक भोजन पचने में आसान होता है और यह साधक के ध्यान, भक्ति व आरोग्य के लिए सर्वोत्तम रहता है।

