वाल्मीकि जयंती: वाल्मीकि जी से जुड़ी जानें ये 7 बातें

Wednesday, Oct 24, 2018 - 02:01 PM (IST)

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हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथ रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि को कौन नहीं जानता। इन्होंने ने श्रीराम के जीवन की पूरी गाथा को संस्कृत भाषा में एक पुस्तक पर लिख दिया। वैसे भगवान राम को समर्पित दो ग्रंथ मुख्यतः लिखे गए हैं एक तुलसीदास द्वारा रचित 'श्री रामचरित मानस' और दूसरा वाल्मीकि कृत 'रामायण'। इनके अलावा भी कुछ अन्य ग्रंथ लिखे गए हैं, जो श्रीराम के जीवन पर आधारित हैं। लेकिन आज हम आपको महर्षि वाल्मीकि जयंती के दिन वाल्मीकि के द्वारा बताए गए कुछ अनमोल वचन बताने जा रहे हैं, जिन्हें अगर व्यक्ति अपने जीवन में अपनाता है तो उसके जीवन में कई तरह के पॉज़िटिव बदलाव आ सकते हैं। 

महर्षि वाल्मीकि जी के विचार:-

महर्षि वाल्मीकि ने अपने जीवन में अनेक सूक्तियों की रचना की। उन्हीं सूक्तियों में से कुछ हम आपके लिए लेकर आए हैं। इन्हें आप अपने करीबियों को भेजकर उनके जीवन में बदलाव लाने की कोशिश कर सकते हैं।

कहते हैं कि अतिसंघर्ष यानि पूरे दृढ़ विश्वास से मेहनत करने पर चंदन में भी आग प्रकट हो जाती है, उसी प्रकार बहुत अवज्ञा किए जाने पर ज्ञानी के भी हृदय में भी क्रोध उपज जाता है।

संत दूसरों को दु:ख से बचाने के लिए कष्ट सहते रहते हैं, तो वहीं दुष्ट लोग दूसरों को दु:ख में डालने के लिए कष्ट सहते रहते हैं।

इस संसार में ऐसे लोग बहुत कम हैं, जो कठोर किंतु हित की बात कहने वाले होते है।

अहम यानि अहंकार मनुष्य का बहुत बड़ा दुश्मन है। वह सोने के हार को भी मिट्टी का बना देता है।

कहा जाता है कि किसी भी मनुष्य की इच्छाशक्ति अगर उसके साथ हो तो वह कोई भी काम बड़े आसानी से कर सकता है। इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प मनुष्य को रंक से राजा बना देती है।

दुख और विपदा जीवन के दो ऐसे मेहमान हैं, जो बिना निमंत्रण के ही आते हैं।

जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।
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