1 फरवरी को पड़ रहा है हिंदू धर्म का ये प्रमुख त्यौहार, जानें इसका शुभ मुहूर्त

Friday, Jan 31, 2020 - 02:45 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं कि फरवरी के माह के आरंभ के साथ ही हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहार का सिलसिला शुरू हो जाएगा। जिसकी शुरूआत होगी 1 फरवरी को मनाए जाने वाले रथ सप्तमी से। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार रथ सप्तमी का ये पर्व 1 फरवरी यानि शनिवार के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक किंवदंतियो के अनुसार ये त्यौहार भगवान सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन सूर्योपसना का अधिक महत्व माना जाता है। बता दें प्रत्येक वर्ष को माघ मास के शुक्ल पक्ष की पड़ने वाली सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार रथ सप्तमी को अचला सप्तमी भी कहा जाता है। तो वहीं अन्य जनश्रुतियों के मुताबिक इस दिन भगवान भास्कर यानि सूर्यदेव की साधना-आराधना से अक्षय फल  की प्राप्ति होती है। जो भी जातक सच्चे मन से इनकी साधना करता है उस पर प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं तथा उन्हें सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस बार में ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है इस दिन किए गए पूजन-अर्चन से सूर्यदेव से आरोग्यता का भी आशीर्वाद मिलता है यही कारण है कि इसे आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं रथ सप्तमी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि तथा धार्मिक महत्व- 

रथ सप्तमी का मुहूर्त
माघ शुक्ल सप्तमी तिथि प्रारंभ - 31 जनवरी 2020, शनिवार 15:50 बजे से
माघ शुक्ल सप्तमी तिथि का अंत - 01 फरवरी 2020, रविवार 18:08 बजे तक

पूजन विधि
सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके उगते हुए सूर्य का दर्शन एवं उन्हें 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' कहते हुए जल अर्पित करें। 

इसके बाद सूर्य की किरणों को लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल का अर्घ्य दें।  

फिर लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके निम मंत्र का 108 बार जप करें।

''एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।''

मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्य देवता की कृपा मिलती है, सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है तथा अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इतना ही नहीं जातक के द्वारा किए गए कार्यों का शीघ्र ही फल मिलने लगता है अपयश दूर हो जाते हैं। 

धार्मिक महत्व
इस दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या किसी जलाशय में स्नान करने उपरांत सूर्यदेव को दीप दान करना उत्तम फलदायी माना जाता है।इससे जुड़े धार्मिक महत्व की बात करें तो भविष्य पुराण में इससे जुड़ी एक कथा मिलती है जिसके अनुसार एक गणिका ने अपने जीवन में कभी कोई दान-पुण्य नहीं किया था। ऐस कथाएं प्रचलित है कि उसने इस दिन किसी पावन नदी के जल में स्नान किया और सूर्य को दीप दान किया। तथा साथ ही साथ उसने यानि गणिका ने मुनि के बताई विधि अनुसार माघी सप्तमी का व्रत किया जिसके प्रभाव स्वरूप उसे शरीर त्यागने के बाद उसे इंद्र देव की अप्सराओं में से एक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

Jyoti

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