राष्ट्रीय एकता दिवस: आज मनाया जाएगा सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मदिन

Tuesday, Oct 31, 2023 - 08:03 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Rashtriya Ekta Diwas 2023: भारत में 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन (Sardar Vallabhbhai Patels Birthday) को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की शुरूआत सन् 2014 में पहली बार की गई थी। हमारा देश विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक है जो दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यहां 1600 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं और हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, इस्लाम और पारसी आदि विभिन्न धर्म एवं संस्कृतियों, परम्पराओं, पोशाकों, रहन-सहन, खान-पान और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ हमारा देश विश्व का सबसे विविधतापूर्ण राष्ट्र है।

किसी भी देश का आधार तभी मजबूत होता है जब उसकी एकता एवं अखंडता बनी रहती है। भारत वर्ष कई वर्षों तक गुलाम रहा इसका सबसे बड़ा कारण था कि हमारे बीच एकता की भावना नहीं थी और उसी का फायदा उठा कर दूसरे देश हमारे देश पर राज करते थे। देश का विकास, शांति, समृद्धि तभी सम्भव है जब देश में लोगों के बीच एकता होगी। राष्ट्रीय एकता दिवस लोगों को एकता का पाठ सिखाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल को एकता की मिसाल भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हमेशा देश को एकजुट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

 
सरदार वल्लभभाई पटेल का परिचय

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। वह अपने पिता झवेरभाई पटेल एवं माता लाड़बाई की चौथी संतान थे।
 
उनका शुरूआती जीवन काफी कठिन था। वह एक किसान परिवार से थे और खेतों में पिता का हाथ बंटाते थे। इसी वजह से 22 साल की उम्र में वह 10वीं की परीक्षा पास कर पाए। कॉलेज की पढ़ाई भी उन्हें घर पर ही करनी पड़ी और अधिकांश ज्ञान स्वाध्याय से ही अर्जित किया। वह जिला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली।

1909 में जब उनकी पत्नी का निधन हुआ उस दौरान वह कोर्ट में बहस कर रहे थे। इसी समय किसी ने कागज के टुकड़े पर लिखकर उन्हें यह दुखद खबर दी। उन्होंने इसे पढ़कर जेब में रख लिया। कार्रवाई खत्म होने के बाद इस बारे में उन्होंने सबको बताया और रवाना हुए।

36 साल की उम्र में वह वकालत पढऩे इंगलैंड गए थे और उन्होंने 36 महीने का कोर्स केवल 30 महीने में पूरा कर लिया था।



जब 1930 के दशक में गुजरात में प्लेग फैला तो पटेल लोगों की सलाह को दरकिनार करते हुए अपने पीड़ित मित्र की देखभाल के लिए पहुंच गए। परिणामस्वरूप उन्हें भी इस बीमारी ने जकड़ लिया। जब तक वह ठीक नहीं हो गए वह एक पुराने मंदिर में अकेले रहे।

गांधी जी के साथ देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था।

देश आजाद हुआ तो वह कई छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था जिनको एक साथ लाने का श्रेय सरदार पटेल को ही दिया जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व कई राज्यों को भारत में मिलाने के लिए कार्य करना शुरू कर दिया था इसलिए उन्हें भारत के राजनीतिक एकीकरण के पिता के रूप में भी जाना जाता है।

उन्हें महात्मा गांधी से बड़ा लगाव था। गांधी जी की हत्या की खबर सुनकर उन्हें सदमा लगा और वह बीमार रहने लगे। इसके बाद हार्ट अटैक से 15 दिसम्बर, 1950 को उनका निधन हो गया। उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया।



सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार

इसी वर्ष केन्द्र सरकार ने भारत की एकता और अखंडता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर एक नागरिक सम्मान प्रदान करने की घोषणा की है। पुरस्कार की घोषणा राष्ट्रीय एकता दिवस यानी सरदार पटेल की जयंती 31 अक्तूबर को ही की जाएगी।

 

 

Niyati Bhandari

Advertising