13 मार्च को मनाया जाएगा रंग पंचमी पर्व, देवताओं से क्या है इसका Connection?

Thursday, Mar 12, 2020 - 06:49 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
मार्च की 9 तथा 10 तिथि को पूरे देश भर में या कहें विश्वभर के कई हिस्सों में होली का त्यौहार पूरे जोरों-शोरों से मनाया गया। 2 दिन मनाए जाने वाला होली का त्यौहार बीत जाने पर लोग अगले साल की होली के इंतज़ार में लग जाते हैं। कब अगले साल में होली पड़ेगी। कब सभी लोग मिलकर एक दूसरे को गुलाल लगा पाएंगे। मगर यदि आप में से कुछ लोगों की इस होली को लेकर कोई इच्छा अधूरी रह गई है तो आपको बता दें इसके लिए आपको अगले साल का इंतज़ार नहीं करना पडे़गा। जी हां, क्योंकि दरअसल होली का त्यौहार जहां लगभग भारत के कई हिस्सों में 2 दिन मनाया जाता है तो वहीं काफ़ी ऐसी जगहें जहां होली का ये पर्व फाल्गन मास की पंचमी तिथि को मनाया जाता है जिसे रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है। बता दें रंग पंचमी भारत में मनाई जाने वाली होली के ठीक 5 दिन बाद मनाया जाता है। जो इस साल 13 मार्च को मनाया जा रहा है। अगर मुख्य रूप से बात करें तो रंग पंचमी के इस पर्व की अधिक धूम राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र आदि में अधिक देखने को मिलती है। मान्यताओं के अनुसार इस दौरान बहुत सी जगहों पर देवी लक्ष्मी की पूजा-आराधना की जाती है। तो अगर आप भी इससे जुड़ी कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि रंग पंचमी का पर्व क्या है और ये हिंदू धर्म के किस देवी या देवता को समर्पित है।

इन्हें समर्पित है देव पंचमी का त्यौहार- 
हिंदू धर्म के ग्रंथों की मानें तो रंग पंचमी पर्व व दिन देवताओं को समर्पित होता है। इसीलिए इसे देव पंचमी भी कहा जाता है। मान्यताओं की मानें तो होली की तरह ही इस दिन रंगों से खेला जाता है। जिसे लेकर एक किंवदंति ये भी प्रचलित है कि इस दिन इन रंगों की तरफ़ इस दिन देवता भी आकर्षित होते हैं। कहा जाता है रंग और गुलाल से वातावरण में ऐसा माहौल बन जाता है कि जिससे तमोगुण और रजोगुण का नाश हो जाता है।

इस दिन रंग खेलने से प्रसन्न होते हैं ये पांच देवता
मुख्‍य रूप रंग पंचमी का पर्व पंचतत्‍वों को सक्रिय करने का त्‍यौहार माना जाता है। इनमें हवा, आकाश, पृथ्‍वी, जल और अग्नि को शामिल किया जाता है। लोक मत है कि इस दिन रंग खेलने से ये पांचों देवता प्रसन्‍न होते हैं, जिससे सुख, समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है

महाराष्‍ट्र की रंग पंचमी
यहां इस दिन मछुआरों का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। मछुआरे इस दिन गीत गाते हैं तथा नाच गाना करते हैं। इसके अलावा यहां जगह-जगह दही हांडी के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। जिस दौरान महिलाएं मटकी फोड़ने से ध्‍यान बंटाने के लिए पुरुषों पर रंग फेंकती है। होली से लेकर यानि पूर्णिमा तिथि से लेकर फाल्गुन माह की पंचमी तिथि तक पूरी धूम धाम से मनाया जाता है। 

मध्‍यप्रदेश की रंग पंचमी
यहां रंग पंचमी के दौरान जुलूस निकाला जाता है और एक-दूसरे पर रंग, सुगंध और रंग से मिला हुआ जल छिड़का जाता है, जिसे गेर के नाम से जाना जाता है। इंदौर में इस अवसर पर खास तौर पर आयोजन किया जाता है। साथ ही यहां रंग पंचमी के मौके पर जगह-जगह सांस्‍कृतिक भी उत्‍सव मनाए जाते हैं।

राजस्‍थान की रंग पंचमी 
बताया जाता है जैसलमेर के मंदिर महल में इस मौके पर विशेष आयोजन आयोजित किया जाता है। जिस दौरान यहां रंगों से विशेष प्रकार के खेल खेले जाते हैं। इसके अलावा जयपुर में भी इस अवसर पर कई प्रकार के सांस्‍कृतिक उत्‍सवों का आयोजन होता है।

Jyoti

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