माता सीता ने बताया, इस चमत्कारी मंत्र से मिलेगा मनचाहा Life partner
Friday, May 18, 2018 - 10:45 AM (IST)
हिंदू धर्म ग्रथों में एेसे कई श्लोक दोहे तथा चौपाइयों आदि हैं जिन्हें मंत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है। मान्यता के अनुसार इन ग्रंथों में जो दोहे व चौपाईयां आदि जिस प्रसंग में लिखे गए हैं, उसके जैसी ही परिस्थिति पैदा होने पर इन पंक्तियों का जाप करने से मुनष्य का कल्याण हो सकता है। श्रीरामचरितमानस में एेसा है प्रंसग है, जिससे किसी की भी मनचाहा जीवनसाथी पाने की इच्छा पूरी हो सकती है। यदि व्यक्ति इन चौपाइयों का मंत्र के रूप से पूरी आस्था के साथ ध्यान व जाप करे तो उसकी ये अपना मनपंसद जीवनसाथी पाने की इच्छा पूरी होती है। लेकिन इसका जाप करते समय मनुष्य की कामना सच्ची और पवित्र होनी चाहिए, यह तभी फलदायी होती है।
मंत्र
तौ भगवानु सकल उर बासी।
करिहि मोहि रघुबर कै दासी।।
जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू।
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।
बालकांड प्रसंग
ये प्रसंग उस समय का है जब राजा जनक प्रतिज्ञा करते हैं कि वे अपनी पुत्री सीता का विवाह उस यौद्धा से करेंगे, जो शिव शंकर के भारी धनुष को उठाकर तोड़गा। लेकिन सीता जी का मन श्रीराम के प्रति आकर्षित हो चुका था परंतु वे यह भी चाहती थीं कि उनके पिता की प्रतिज्ञा बेकार न जाए और उनका विवाह तेजस्वी व श्रेष्ठ राजकुमार श्रीराम से ही हो।
परंतु उनके मन में यह संदेह था कि शायद ये सुकुमार शिव के भारी धनुष को उठा न सकें। ऐसे में उनका मन व्याकुल हुआ जा रहा था। तब सीता जी धीरज रखकर अपने हृदय में यह कहा कि, ‘यदि तन, मन और वचन से मेरा संकल्प सच्चा है तो श्रीरामजी उन्हें अपनी जीवन संगिनी जरूर बनाएंगे।
यह प्रयोग केवल आस्थावान लोगों के लिए है। कामना अगर मन, वचन और कर्म से सच्ची और कल्याणकारी होती है, तो वह प्रभु की कृपा से जरूरी पूरी होती है। सिर्फ आजमाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग वर्जित है।