Kundli Tv- रंभा एकादशी 2018: जानें, व्रत की पूजन विधि

punjabkesari.in Friday, Nov 02, 2018 - 01:38 PM (IST)

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दीपों का त्योहार दीपावली आने को कुछ दिन बचे हैं। दीपोत्सव पूरे 7 दिन तक चलता है और इसकी शुरुआत होती है रंभा एकादशी से। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रंभा एकादशी कहते हैं। इस दिन व्रत रखने पर आपके सुंदर स्वरूप की ख्वाहिश पूरी हो सकती है साथ ही अगर कोई रंभा जैसी अत्यंत सुंदर, अप्सरा को पाना चाहता है तो इस दिन व्रत रखना बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। यदि रंभा के स्वरूप की बात की जाए तो ये देवी श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं और कमर के नीचे एक घाघरा पहने हुए हैं साथ ही ये देवी हमेशा सफेद रंग का दुप्पटा धारण किए रहती हैं। इनका रंग गुलाबी है और झील सी सुंदर गहरी और बड़ी-बड़ी आंखें हैं और उस पर सफेद और लाल फूलों के आभूषण इनकी सुंदरता में और भी निखार लाते हैं।
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तो चलिए अब आपको बताते हैं इसकी पूजन विधि और एक स्पेशल मंत्र। सबसे पहले दो लोटे लें और उसमें पानी भरकर दायीं और बायीं तरफ रख दें। फिर पूजा की बाकी सामग्री दो दर्जन काली चूड़ियां, पैरों में लगाने का आलता, परफ्यूम , बालों में गूंथने की चोटी, नाक में पहनने की कील, 6 कौड़ियां, पैरों की पायल, सफेद रेशमी वस्त्र और लाल फूलों को देखते हुए सिर उठाकर ऊपर छत की ओर देखें और फिर धीरे-धीरे अपनी आंखें बंद कर लें। इसके बाद धीरे-धीरे अपनी गर्दन सीधी कर लें, और बंद आंखों से ध्यान करें कि देवी चौकी पर विराजमान हैं। ध्यान में ही अपनी लायी हुई सारी पूजा की सामग्री देवी को अर्पित कर दें, चूड़ियां हाथों में पहना दें, पैरों में आलता लगा दें और पायल पहना दें, पूरा श्रृंगार करके देवी को परफ्यूम से नहला दें। ये सारा काम ध्यान में भाव से ही होगा लेकिन ध्यान रखें कि वास्तव में कुछ नहीं करना देवी की अर्चना के बाद अपने दोनों ओर रखे जल पात्र पर अपने दोनों हाथ रख दें हथेली से जल पात्र को ढक कर मन्त्र का जाप शुरू कर दें। 10-10 मिनट करके 3 बार जप करें हर बार जप के अंत में अपनी दोनों हथेलियों को रगड़ कर अपने चेहरे को सहलाएं और सारे शरीर पर स्पर्श करें।  
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रंभा मंत्र-  रं रं रम्भे रं रं देवी

इसके बाद देवी को धन्यवाद कहकर एक बार फिर से जप शुरू कर दें। ध्यान रहे, इस जप में हथेलियों में थोड़ी गर्मी महसूस हो सकती है। यही रम्भा का आवेश है, आवेश शक्ति स्वरुप शरीर में आता है। किसी-किसी को गर्मी लगती है। किसी-किसी को गर्मी नहीं लगती। पूजा के बाद सारी सामग्री वही रखे रहने दें। अगले दिन सुबह सारी सामग्री उठा कर अपने पास रख लें। फूल बहते पानी में विसर्जित कर दें और कौड़ियां सफेद कपड़े में लपेट कर तिजोरी में रख दें, आलता, पायल और बची हुई सारी सामग्री का इस्तेमाल करें। ध्यान रहे, आपकी पूजा की सामग्री का कोई और इस्तेमाल न करें। इस विधि से पूजा करने पर देवी की कृपा आपको जरूर प्राप्त होगी। 
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Niyati Bhandari

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