रामायण के इस प्रसंग के बारे में नहीं जानते होंगे आप !

Sunday, Jun 30, 2019 - 01:33 PM (IST)

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रामायण हिंदू धर्म का एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें व्यक्ति के जीवन से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं का समाधान मिलता है। अगर देखा जाए तो उसका हर एक पात्र हमें कोई न कोई सीख देता है, जोकि आज के समय में भी हर व्यक्ति के काम आ सकती है। रामायण काल में हनुमान जी ने जो भी काम किए हर काम के पीछे एक शिक्षा छिपी हुई है। हनुमान जी से हर व्यक्ति को सीखना चाहिए कि कोई महत्वपूर्ण कार्य या अभियान पूरा करना हो तो पहले उसके पक्ष में वातावरण बनाएं। आज हम आपको हनुमान जी से जुड़ा एक ऐसा ही प्रसंग बताने जा रहे हैं। जिसे अपनाकर आप भी अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।  

रामायण में हनुमान जी ने जब लंका जलाने से पहले भरी सभा में रावण को बहुत अच्छे से समझाया तो हनुमान जी बहुत अच्छे वक्ता के रूप में जाने लगे थे। रावण भी कम विद्वान नहीं था, लेकिन हनुमानजी ने अपनी कला से पूरी सभा को प्रभावित किया था। अपनी बात संक्षेप में पूरी नम्रता के साथ संदेश के भाव से कह देने में हनुमान जी बेजोड़ थे और उन्होने अपनी बात कह दी। हनुमान जी ने जो कहा और किया उसका असर संपूर्ण राक्षस कुल पर पड़ा।

लंका कांड में जब लक्ष्मण जी मूर्छित हुए और हनुमान जी औषधि लेने चले तो किसी ने रावण को सूचना दी। रावण कालनेमि नामक राक्षस के पास गया कि किसी प्रकार हनुमान का मार्ग रोके। रावण और कालनेमि में जो बात हुई उस पर तुलसीदासजी ने लिखा है, 

‘दसमुख कहा मरमु तेहिं सुना। पुनि पुनि कालनेमि सिरू धुना।। 
देखत तुम्हहि नगरू जेहिं जारा। तासु पंथ को रोकन पारा।। 


जब रावण ने सारा हाल कालनेमि को बताया तो उसने सिर पीटते हुए बोला- तुम्हारे देखते-देखते जिसने पूरा नगर जला डाला, उसका मार्ग कौन रोक सकता है? यह हनुमानजी की ख्याति थी, जो एक राक्षस बयां कर रहा था। हनुमानजी से सीखना चाहिए कि व्यक्ति को ऐसे काम करने चाहिए, जिससे कि लोग आपकी प्रशंसा करने से जरा भी न कतराएं, फिर वो चाहे आपको दुश्मन ही क्यों न हो।  
 

Lata

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