Ramadan 2020: आज है अलविदा जुमा, क्या है इस्लाम मजहब में इसका महत्व

Friday, May 22, 2020 - 07:05 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज यानि 22 मई को इस्लाम माह का आखिरी जुमा है। बता देें इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमज़ान माह का हर जुमा खास होता है, मगर आख़िरी जुमे को अलविदा के नाम से जाना जाता है। रमजान के दौरान प्रति वर्ष आखिरी जुमे को धूमधाम से मनाया जाता है, प्रत्येक जुमे की नमाज़ के लिए मस्जिदें आबाद की जाती हैं। मगर जैसे कि सब जानते हैं इस साल कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन व्याप्त है। जिस कारण इस साल अलविदा जुमा लोग अपने-अपने घरों में ही मनाएंगे। इस्लाम मजहब की मान्यताओं के मुताबिक, अलविदा की नमाज़ में चैन-ओ-अमन की दुआ मांगी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस खास मौके पर साफ दिल से जो दुआ मांगी जाती है, वह पूरी होती है। कहा जा रहा है ईद आने में महज़ दो दिन रह गए हैं। हालांकि यह पूरी तरह से चांद के दीदार पर निर्भर होगा कि ईद कब मनाई जाएगी। 24 या 25 तारीख को ईद मनाने की संभावना है।

इस्लाम में जुमे की नमाज का महत्व
इस्लाम मजहब में जुमे की नमाज का खास महत्व है। हदीस शरीफ में इस बात का जिक्र आता है कि जुमे के दिन ही हजरत आदम अलैहिस्सलम को जन्नत से इस दुनिया में भेजा गया था। उनकी जन्नत की वापसी भी इसी दिन हुई थी। अल्लाह ने उनकी तौबा भी जुमे के दिन कबूल की थी।  वहीं कुरान-ए-पाक में सूरा जुमा नाजिल की गई है। रमजान माह में आखिरी जुमा रुखसत का पैगाम है। यह यौमे-खास रमजान के समाप्त होने का अहसास कराता है। इन सभी कारणों से रमजान के आखिरी जुम्मा को अलविदा की नमाज पड़ी जाती है।

 

Jyoti

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