Rama Ekadashi 2020: देवी लक्ष्मी को इन चीज़ों का लगाएं भोग, प्रसन्न हो भर देंगी आपके भंडारे

Tuesday, Nov 10, 2020 - 04:48 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कार्तिक मास में आने वाली रमा एकादशी के दिन विष्णु जी के अलावा देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी के दौरान जो व्यक्ति माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है, उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती। यही कारण है इस दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा को करते ही हैं, साथ ही साथ इन्हें भी प्रसन्न करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। लेकिन हर किसी के ये जानना बेहद ज़रूरी होता है कि क्या जिस विधि से वे विष्ण-लक्ष्मी की पूजा करते हैं क्या वो सही है? जी हां, कई बार लोगों को देखा जाता है कि वह इनकी संपूर्ण पूजा आदि करने के बाद एक ऐसा काम भूल जाते हैं जिसे करना शास्त्रों में अधिक आवश्यक बताया गया है। बता दें दरअसल ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ अन्य धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि देवी लक्ष्मी की पूजा आदि के बाद इन्हें मिष्ठान आदि का भोग लगाना अधिक आवश्यक होता है।

यकीनन आप में से लगभग लोगों के दिमाग में अगला प्रश्न यही आया होगा कि इन्हें कौन से चीज़ों का भोग लगाना चाहिए। तो बता दें हम आपको इसी बार में बताने वाले हैं कि देवी लक्ष्मी को कौन से मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए।

कहा जाता है जो जातक रमा एकादशी व दिवाली के पंच उत्सव के दौरान देवी लक्ष्मी को इनमें से कोई 1 भी भोग निरंतर लगाता है उसको माता लक्ष्मी की अपार कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो मिष्ठान-

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी लक्ष्मी को पूजन के दौरान 16 प्रकार की गुजिया, पपड़ियां, अनर्सा, लड्डू चढ़ाएं जाते हैं। आह्वान में इन्हें पुलहरा अर्पित किया जाता है। इसके बाद इन्हें चावल, बादाम, पिस्ता, छुआरा, हल्दी, सुपारी, गेंहूं, नारियल भेंट किए जाते हैं।

केवड़े के फूल और आम्रबेल का भोग भी माता लक्ष्मी को अधिक प्रिय है।

कहा जाता है जो कोई भी व्यक्ति इन्हें भोग के तौर पर 1 लाल फूल भी कर देता है देव लक्ष्मी उसके घर में हर प्रकार से शांति और समृद्धि भर देती हैं, ऐसे व्यक्ति को कभी जीवन में किसी भी प्रकार से धन की कमी नहीं सताती है।

इसके अलावा देवी लक्ष्मी को पीले रंग के केसर भात, पीले और सफेद रंग के मिष्ठा जैसे किशमिश, चारोली, मखाने और काजू मिली खीर आदि भी बहुत प्रिय हैं।  

शुद्ध घी का हलुआ, सिंघाड़ा, बताशे, पान तथा फलों में अनार अधिक प्रिय है। रमा एकादशी पर इसका भोग लगाने वाले पर भी इनकी खास कृपा बरसती है।

दीपावली के दिन इन्हें गन्ना भी अर्पित किया जाता, क्योंकि वाहन सफ़ेद हाथी को यह अति प्रिय है।

कहा जाता है जिस तरह देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र से हुई उसी तरह मखाने की उत्पत्ति भी जल से हुई है। मखाना कमल के पौधे से मिलता है और कमल पर देवी लक्ष्मी विराजमान रहती हैं। जिस कारण इन्हें मखाने भी अधिक प्रिय है।

इन सब के अलावा श्रीफल यानि नारियल भी देवी लक्ष्मी को अधिक प्रिय है, कहा जाता है इसमें सबसे शुद्ध जल भरा रहता है।
 

Jyoti

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