इस स्थान पर समाप्त हुई थी श्रीराम की ‘वनवास यात्रा’

Thursday, Sep 09, 2021 - 11:27 AM (IST)

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राम रामेश्वरम से लंका पहुंच कर रावण का वध करके सीता जी को लेकर पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे। वनवास यात्रा से जुड़े जिन अंतिम स्थलों के दर्शन आपको करवाने जा रहे हैं, उनमें वह स्थान विशेष रूप से शामिल है जहां अयोध्या लौटने से पहले श्रीराम ने भरत को अपने आने की सूचना देने के लिए हनुमान जी को भेजा था। ये सभी स्थल उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।

हनुमान-भरत मिलन मंदिर, नन्दीग्राम : नन्दीग्राम में भरत जी तपस्या करते हुए श्रीराम के वापस अयोध्या आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। इसी समय श्रीराम ने हनुमान जी को अपने समाचार देकर भरत जी से मिलने भेजा था। इस स्थल पर हनुमान जी व भरत जी की भावुक भेंट हुई थी।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 6/125/36 से 46, 6/126 पूरा अध्याय मानस 6/120 दोहा 7/1 दोहा से 7/2 ख दोहा)

रामकुंड पुहपी, फैजाबाद : अयोध्या जी में पुष्पक विमान जहां उतरा वहां विमान की स्मृति में ‘पुष्पकपुरी’ बसाई गई थी। कालान्तर में उसी का अपभ्रंश हो गया ‘पुहपी’। पुहपी गांव के पास ही रामकुंड नामक एक विशाल सरोवर श्रीराम के यहां पदार्पण का आज भी स्मरण कराता है।
(ग्रंथ उल्लेख : व.रा. 6/127/30 से 35 मानस 7/4 क दोहा)

भरत कुंड, नन्दीग्राम : नन्दीग्राम में भरत जी ने 14 वर्ष तक रह कर श्रीराम की चरण पादुकाओं का आश्रय लेकर अयोध्या जी का राजकाज देखा था। अयोध्या जी से लगभग 10 कि.मी. दूर यहीं श्रीराम तथा भरत जी का भावुक मिलन हुआ था।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 2/112/ 23, 24, 25, 29, 6/127/36 से 54 मानस 2/315/2, 3, 2,/323/1, 2, 7/0/ दोहा से 7/2 दोहा से 7/4/4 से 7/8 ख दोहा) 

दशरथ समाधि, बिल्वहरी घाट, फैजाबाद : पिता की इच्छानुसार ही श्रीराम ने 14 वर्ष वन में बिताए थे किन्तु पुत्र बिछोह में चक्रवर्ती सम्राट दशरथ जी ने प्राण त्याग दिए। श्रीराम की अनुपस्थिति में भरत जी ने यहां राजा दशरथ जी का अंतिम संस्कार किया था। राज्यासीन होने के बाद श्रीराम यहां दर्शनार्थ आए थे।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 2/76/14 से 23 मानस 2/168/1 से 2/170/1)

जनकौरा, फैजाबाद : दशरथ जी के स्वर्गवास के बाद राजकाज भरत जी के नियंत्रण में आया था। भरत जी को बालक समझ कर राजा जनक उनकी सहायता एवं मार्गदर्शन के लिए कुछ काल तक अयोध्या जी में रहे थे। चूंकि पिता का पुत्री की ससुराल में रहना नैतिक नहीं माना जाता इसलिए राजा जनक ने कुछ भूमि अपने लिए खरीद कर करीब ही एक पूरी बस्ती बसाई थी। आज भी इसे जनकौरा कहते हैं।
यहां जनक जी का एक मंदिर भी है।
(ग्रंथ उल्लेख : मानस 2/321/3, 4)

गुप्त हरि घाट (गुप्तार घाट), अयोध्या जी : श्रीराम लीला का यह अंतिम स्थल है। अखंड बह्मांड के महानायक, जगत के आधार श्रीराम अपनी लीला संपन्न कर अयोध्या जी के सभी चर-अचर जीवों के साथ यहीं सरयू जी में प्रवेश कर अपने परम धाम को पधारे थे।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 7/107 से 110 तक पूरे अध्याय)      

Jyoti

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