Ramayan: न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी स्थापित है ‘राम राज्य’

Friday, Jul 17, 2020 - 12:51 PM (IST)

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Ramcharitmanas: राम हमारे देश के युग पुरुष थे। आज भी रामचरित मानस और रामायण के माध्यम से हर भारतीय परिवार में श्री राम को आदर और श्रद्धा दी जाती है। भगवान श्री राम न केवल हमारे देश में बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी लोकप्रिय हैं और वहां के लोग भी उन्हें वही आदर देते हैं, जितना हम भारतवासी देते हैं। ऐसा लगता है कि श्री राम का राज्य भारत में ही नहीं विदेशों में भी फैला हुआ है।


मिस्र में एक मंदिर है जिसे ‘रामेसियस’ कहते हैं। वहां रामेरू नामक बारह राजाओं के नाम का जिक्र किया गया है। वहां की एक प्राचीन राजकुमारी के नाम सीतामन का भी उल्लेख प्राप्त होता है। तुर्की में दशरथ नामक एक वीर बहादुर राजा का उल्लेख भी इतिहास में प्राप्त होता है।

ईरान में रामन नामक देवता ईरानियों के आराध्य थे। अवराम, ओराम जैसे राम से मिलते-जुलते नाम ईरान में राम के नाम से प्रभावित होकर ही रखे जाते थे। असीरिया में रम्मन नामक देवता का जिक्र भी आता है। उदाहरणों से यह तथ्य  स्पष्ट हो जाता है कि सचमुच राम विश्वव्यापी हैं।

थाइलैंड, कंबोडिया, बर्मा, लाओस, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि देशों में तो रामकथा विभिन्न रूपों में प्राप्त होती है। इन स्थानों पर रामलीला का प्रदर्शन विभिन्न नृत्य-नाटकों के द्वारा किया जाता है। मलेशिया के एक मुस्लिम राष्ट्र होने के बावजूद वहां रामायण आधारित छाया नाटक काफी प्रसिद्ध है।

इंडोनेशिया जो एक मुस्लिम देश है, में रामायणों की रचना भी की गई है और राम से संबंधित ढेर सारा साहित्य  यहां उपलब्ध है। इंडोनेशिया में योगेश्वर रचित अति प्राचीन पुस्तक ‘रामायण काकाविन’ को काफी पवित्र माना जाता है। हमारे देश में जिस तरह अदालतों में गीता और कुरान पर हाथ रखकर कसम दिलाई जाती है। उसी तरह वहां के न्यायालयों में रामायण काकाविन पर हाथ रखवा कर शपथ दिलाई जाती है। इंडोनेशिया का शासक वर्ग भी ‘रामायण काकाविन’ पर हाथ रखकर शपथ ग्रहण करता है।


जावा का एक प्रमुख नगर जोग्या या जोगाकार्ता! यहां राम से संबंधित नाटक खेले और पढ़े जाते हैं, जिसमें महिलाएं ही राम-लक्ष्मण आदि की भूमिका करती हैं। वानरों और राक्षसों का अभिनय पुरुष करते हैं।

बाली के निवासी तो राम के अनन्य भक्त हैं। यहां केचक नामक एक अनूठा नाटकीय नृत्य है, जिसमें किसी वाद्य संगीत का उपयोग नहीं किया जाता। बाली के प्रत्येक मंदिर पर रामकथा अंकित है। बाली में सीता-हरण का दृश्य खासतौर पर लोकप्रिय है।

थाइलैंड में भी राम को श्रद्धा और आदर की दृष्टि से देखा जाता है। थाई निवासियों का सांस्कृतिक एवं धार्मिक जीवन राममय है। यहां के धार्मिक जीवन की एक प्रमुख खूबी यह है कि यहां राम और गौतम बुद्ध को लगभग एक ही रूप में जन स्वीकृति प्राप्त है। प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर में जहां एक ओर नीलम की बनी गौतम बुद्ध की भव्य प्रतिमा है, वहीं मंदिर की दीवारों पर समूची रामकथा चित्रित है। बैंकॉक के राष्ट्रीय संग्रहालय में राम की धनुर्धारी मोहक मूर्ति है। 18वीं सदी में रचित थाई भाषा की रामायण रामकिन वहां अत्यंत लोकप्रिय है।


न्यूयार्क में रामायण नामक एक विशाल रेस्तरां है और प्रतिवर्ष वहां हरे कृष्ण संप्रदाय रामलीला का भव्य आयोजन भी करते हैं। वहां के लोग राम के भक्त हैं।

चीनी भाषा में दशरथ जातक नाम से रामायण मिलती है। चीनियों में भी भगवान राम के प्रति आस्था और श्रद्धा है। वैसे नेपाल और श्रीलंका में भी रामायण की रचना की गई है। इन देशों की रामायण भारतीय रामायण से कुछ बातों में भिन्न है लेकिन इससे राम के प्रति उनकी आस्था में कहीं कोई कमी नहीं आती।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि राम विदेशियों के भी आराध्य हैं और वर्तमान में भी राम पूजा का दायरा व्यापक है।

 

Niyati Bhandari

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