Ram Navami 2021: श्री राम के जैसे बनना है तो अपनाएं उनके ये 5 गुण

punjabkesari.in Wednesday, Apr 21, 2021 - 01:58 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
लगभग हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे में मर्यादा पुुरुषोत्तम जैसे गुण हो। ताकि समाज में उसके साथ-साथ उनके बच्चे का नाम व सम्मान हो। आज श्री राम नवमी के शुभ अवसर पर हम आपको कुछ ऐसा ही बताने वाले हैं। धार्मिक ग्रंथों में श्री राम की जीविनी के अलावा उनके चरित्र से जुड़ी कुछ खास बातें भी बताने गई हैं। जिन्हें जानना वर्तमान समय में मानव जीवन के लिए अति आवश्यका है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि मर्यदा पुरुषोत्त्म श्री राम अपने जीवन कीव विषण परस्थितियों में भी नीति सम्मत रहे। उन्होंने हमेशा वेदों व उसकी मर्यादओं का पाालन किया, और एक सुखी राज्य की स्थापना की। यही कारण है कि उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहा जाता है। उन्होंने अपनी भावनाओं व सुखों से समझौता करते हुए हमेशा न्याय और सत्य का साथ दिया। राज्य त्याग कर वनों में जीवन के 14 वर्ष बिताने से, रावण का वध करने तक व सीता माता को केवल राज्य की खुशी के लिए त्याग देने तक, उन्होंने केवल वेदों को आगे रखा। हालांकि कलियुग जीवन में श्री राम जैसे बन पाना असंभव है, परंतु फिर भी कहा जाता है अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में आगे बताए जाने वाले 5 गुणों को अपनाता है तो वह जीवन में सफल होता है। आइए आपको बताते हैं कि श्री राम के उन 5 गुणों के बारे में बताते हैं-

सहनशीलता व धैर्य
कहा जाता है कि श्री राम का सबसे विशेष गुण था उनकी सहनशीलता व धैर्य। इसी के बल पर उन्होंने कैकेयी माता की आज्ञा पर 14 वर्ष का लंबा वनवास काटा, समुद्र पर सेतु बनावे के लिए घोर तपस्या की, अपनी पवित्र पत्नी का त्याग किया, राजा होते हुए भी एक संन्यासी के समान अपना जीवन व्यतीत किया। अगर श्री राम के बनना है तो सबसे पहले उनके इस गुण को अपनाना हर किसी के आवश्यक है। जिस व्यक्ति के अंदर ये दोनों गुण होते हैं उसे सफल होने से कोई नहीं रोक पाता।

दयालु स्वभाव
धार्मिक ग्रंथों में इस बात का परमाण समय-समय पर मिलता है कि श्री राम का स्वभाव दयालु था, वो सभी पर अपनी दया कर उन्हें अपनी छत्रछाया में रखते हैं। इनकी सेवा में मानव, पशु तथा दानव सभी शामिल होते हैं। इनकी सेवा के परिणाम हेेतु सुग्रीव को राज्य प्राप्त हुआ था। दोस्त केवट हो या सुग्रीव, निषादराज या विभीषण। हर जाति, हर वर्ग के मित्रों के साथ भगवान राम ने दिल से करीबी रिश्ता निभाया।

कुशल प्रबंधक
भगवान श्री राम न केवल एक कुशल प्रबंधक थे, बल्कि वे हमेशा सभी साथ को लेकर चलने वाले थे। वे सभी को विकास का अवसर देते थे व उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करते थे। उनके इसी गुण की वजह से लंका जाने के लिए उन्होंने व उनकी सेना ने पत्थरों का सेतु बना लिया था।

आदर्श भाई
भगवान राम के तीन भाई लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न सौतेली मां के पुत्र थे, लेकिन उन्होंने सभी भाइयों के प्रति सगे भाई से बढ़कर त्याग और समर्पण का भाव रखा और स्नेह दिया। यही वजह थी कि भगवान राम के वनवास के समय लक्ष्मण उनके साथ वन गए और राम की अनुपस्थिति में राजपाट मिलने के बावजूद भरत ने भगवान राम के मूल्यों को ध्यान में रखकर सिंहासन पर रामजी की चरण पादुका रख जनता को न्याय दिलाया।


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Content Writer

Jyoti

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