जैन धर्म से लेकर बौद्ध धर्म तक से जुड़ा है अयोध्या का इतिहास

Monday, Aug 03, 2020 - 05:31 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक तरफ़ अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के भूमि पूजन की तैयारियां ज़ोरों-शोरों पर चल रही हैं तो वहीं दूसरी ओर पूरा देश इस दिन के इंतज़ार में है। बता दें 5 अगस्त तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 बजकर 15 मिनट और 15 सेकेंड पर राम मंदिर की नींव रखी जाएगी और भूमि पूजन संपन्न किया जाएगा। जब भी अयोध्या मंदिर या अयोध्या की बात होती है तो ये कहा जाता है कि इसका हिंदू धर्म में अधित महत्व है। लेकिन क्या आप जानते हैं न केवल हिंदू धर्म में बल्कि अयोधया का महत्व जैन, बौद्ध, सिख आदि में भी है। जी हां, इससे जुड़ी ऐसी कई मान्यताएं हैं जो इस बार का परिणाम देती हैं। तो चलिए जानते हैं अयोध्या से जुड़ी कुछ मान्यताएं- 

धार्मिक मान्यताओं की मानें तो श्री राम की नगरी अयोध्या का जुड़ाव कई धर्मों से रहा है। बताया जाता है सनातन संस्कृति के अलावा यहां जैन, बौद्ध, सिख और सूफी परंपराएं तक की जड़ें व्याप्त हैं। इतिहास के पन्नों में दृष्टि डाली जाए तो अयोध्या हमेशा से कला, पुराण, जैन, गीत-संगीत सभी का केंद्र रहा है। 

अयोध्या में की थी भगवान बुद्ध ने तपस्या 
अयोध्या की प्रचलित मान्यताओं की मानें तो कहा जाता है 600 ईसा पूर्व में राजा प्रसेनजीत के समय ये श्रावस्ती की राजधानी साकेत थी। गुप्त काल में गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त अपनी राजधानी पाटिलपुत्र से यहां लेकर आए और इसका नाम अयोध्या रखा। जिसके बाद अयोध्या बड़ा व्यापारिक केंद्र बन गया।  इसके अलावा लोक मत है कि थाईलैंड से भी सवा सौ (125) भिक्षुओं का दल भगवान बुद्ध की तपोस्थली को तलाशता हुआ अयोध्या पहुंचा था। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या में आकर भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी। गौतम बुद्धठ का रामनगरी अयोध्या से सरोकाम था। ऐसा कहा जाता है कि जिस शाक्य कुल के भगवान बुद्ध राजकुमार थे, उसकी दो राजधानियों में कपिलवस्तु के साथ अयोध्या भी शुमार थी। बौद्धा ग्रंथों में अयोध्या को साकेत के नाम से जाना जाता है। 

गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड 
अयोध्या में सिख धर्म से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जिनमें से एक के अनुसार यहां प्रथम, नवम व दशम सिख गुरु समय-समय पर अयोध्या आए और नगरी के प्रति आस्था निवेदित की। सिख परम्परा की विरासत गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड एवं गुरुद्वारा गोविंद धाम के रूप में अभी भी यहां जीवंत है। 

शीश पैगंबर की मजार
इस्लामिक परंपराओं की मानें तो अयोध्या को मदीनतुल अजोधिया के रूप में भी संबोधित किया जाता है। यहां शीश पैगंबर की मजार, स्वर्गद्वार स्थित सैय्यद इब्राहिम शाह की मजार, शास्त्री नगर स्थित नौगजी पीर की मजार इसकी संस्कृति का अहम हिस्सा है 

अयोध्या में जन्मे थे पांच जैन तीर्थंकर 
ऐसा कहा जाता है कि जैन धर्म के 16 तीर्थंकरों में से 5 जैन तीर्थंकर यहां जन्मे थे। यहां इनके मंदिर भी हैं। जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान ऋषभदेव अयोध्या राजपरिवार के थे।

 

Jyoti

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