रक्षा सूत्र से जुड़ी इन बातों से क्या आप भी हैं अंजान?

Saturday, Jun 18, 2022 - 11:03 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

हिंदू धर्म से जुड़े लगभग लोग जानते होंगे कि इसमें किए गए प्रत्येक प्रकार के पूजा-पाठ में रक्षा सूत्र बांधने का विधान प्रचलित है। सरल भाषा में रक्षा सूत्र को कलावा भी कहा जाता है। परंतु अक्सर कलावा बांधने को लेकर एक असमंजस देखने को मिलती है कि महिलाओं और पुरुषों को किस हाथ में कलावा बांधना चाहिए या फिर किस दिन कलावा बांधना शुभ होता है। तो अगर आपके मन में भी इससे जुड़े ये प्रश्न हैं तो चलिए आपको बताते हैं इनके जवाब साथ ही साथ जानेंगे कि रक्षा सूत्र बंधवाते व बांधते समय किस मंत्र का उच्चारण किया जाना अनिवार्य माना जाता है।


 
सबसे पहले आपको बता दें कि कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार सबसे शुभ दिन माने जाते हैं। इसे बांधने से सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है और अगर बात की जाए कि किसे कौन से हाथ में कलावा पहनना चाहिए तो बता दें कि पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ पर और विवाहित स्त्री के बाएं हाथ पर कलावा बांधना चाहिए। कलावा बांधते समय याद रखें कि आपकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए।

इसके अलावा बता दें कि कलावे को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए। वैसे कलावा भी दो तरह के होते हैं। एक तीन धागों वाला और एक पांच धागों वाला। तीन धागों वाले कलावा में लाल, पीला और हरा रंग होता है। वहीं पांच धागे वाले कलावे में लाल, पीला व हरे रंगे के अलावा सफेद और नीले रंग का भी धागा होता है। पांच धागे वाले कलावा को पंचदेव कलावा भी कहते हैं। अगर कलावा तीनो रंगों में है तो ये सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है क्योंकि तीन का संबंध त्रिदेव से है यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश। इसी बांधने से तीनों की कृपा बनी रहती है। इसके साथ ही तीनों देवियों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती की भी कृपा आपके जीवन में मंगलकारी परिणाम लाती हैं। इसे कलाई में बांधे बिना धार्मिक कार्य अधूरे माने जाते है। जब भी इसे कलाई में बांधा जाए उस समय मुट्ठी बंद करके व सिर पर हाथ रखकर बंधवाना चाहिए।


वैज्ञानिक तौर पर इसकी अहमियत देखी जाए तो कलावा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक जैसे रोगों से बचाने में मदद करता है। एक बार बांधा हुआ कलावा एक सप्ताह में बदल देना चाहिए। पुराने कलावे को वृक्ष के नीच रख देना चाहिए। या मिटटी में दबा देना चाहिए। तो वहीं कलावे को उपाय के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर विवाह संबंधी परेशानी है तो पीले और सफेद रंग का कलावा धारण करना शुभ होता है। इसे शुक्रवार या फिर दीपावली के दिन धारण करना चाहिए।



मौली को एक पवित्र धागा माना जाता है और इसे आपके हाथ में इसलिए बांधा जाता है ताकि आपके मन में सात्विक विचारों में वृद्धि हो। कलाई में बंधी हुई मौली या कलावा हमारे मन पर बहुत प्रभाव डालते हैं। क्योंकि कलाई पर बार-बार नजर पड़ती है और इससे हम परमात्मा के साथ सीधा जुड़ाव अनुभव करते हैं।इस अनुभव के कारण हमारे अंदर सकारात्मकता में वृद्धि होती है। तो वहीं सेह के लिहाज से देखें तो मौली या कलावा बांधने से कलाई की नाड़ी पर जो हल्का दबाव बनता है, वह वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करता है। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में कोई भी व्याधि बात, पित्त और कफ की स्थिति में समस्या होने के कारण उत्पन्न होती है।

इसके अतिरिक्ति रक्षासूत्र बंधवाते समय इस मंत्र का जप किया जाता है-

रक्षासूत्र का मंत्र है- येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

मंत्र का अर्थ- दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे!(रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।

तो वहीं हिंदू धर्म के शास्त्रों के महान विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। अतः इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना माना गया है।

Jyoti

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