Rajendra Prasad Death Anniversary: भारत रत्न से सम्मानित आजाद देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

Tuesday, Feb 28, 2023 - 10:17 AM (IST)

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The First President of India: स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बन कर ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ की भावना से देश की सेवा करने वाले डा. राजेन्द्र प्रसाद सादगी और ईमानदारी के अवतार थे। उन्होंने जीवन भर विदेशी वस्त्र न पहन कर देशवासियों को स्वदेशी वस्त्र पहनने का संदेश दिया। सभी सम्मान से इन्हें प्राय: ‘राजेन्द्र बाबू’ कह कर बुलाते थे।

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Rajendra Prasad Biography: स्वतंत्रता सेनानी राजेन्द्र बाबू का जन्म 3 दिसम्बर, 1884 को बिहार के तत्कालीन सारण जिले (अब सीवान) के  ‘जीरादेई’  नामक गांव में जमींदार परिवार में हुआ। उनका 12 साल की उम्र में राजवंशी देवी के साथ बाल विवाह हो गया था, जिससे इनके घर एक बेटे ने जन्म लिया। हालांकि, पढ़ाई की तरफ इनका रुझान बचपन से ही था। 

इन्होंने 1907 में इकोनॉमिक्स में एम.ए. किया। 1915 में कानून में मास्टर की डिग्री पूरी की, जिसके लिए इन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। इसके बाद इन्होंने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की और पटना आकर वकालत करने लगे, जिससे इन्हें बहुत धन और प्रसिद्धि मिली। हिन्दी के प्रति उनका अगाध प्रेम था। हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं, जैसे भारत मित्र, भारतोदय, कमला आदि में इनके लेख छपते थे। 

1914 में बिहार और बंगाल में आई बाढ़ में इन्होंने बढ़-चढ़ कर सेवा-कार्य किया। गांधी जी के प्रभाव में आने के बाद इन्होंने नई ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और कई बार इन्हें जेल जाना पड़ा। इन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी संभाला और 1946 में भारतीय संविधान समिति के अध्यक्ष चुने गए। संविधान पर इन्होंने ही हस्ताक्षर करके मान्यता दी। भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 में कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया। 

स्वतंत्रता के बाद 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने पर इन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति का पदभार संभाला। राष्ट्रपति के तौर पर इन्होंने कभी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या किसी अन्य नेता को दखलअंदाजी का मौका नहीं दिया और हमेशा स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहे। इन्हें भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। गुजरात के सौराष्ट्र के ‘सोमनाथ शिव मंदिर’ के जीर्णोद्धार में भी इनका विशेष योगदान था।  28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया।

Niyati Bhandari

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