यहां आज भी अदृश्य रूप में होता है भगवान राम का आगमन
punjabkesari.in Sunday, Apr 21, 2019 - 05:51 PM (IST)
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जैसे कि सब जानते हैं भारत को यहां स्थापित विभिन्न मंदिरों व धार्मिक स्थलों के कारण अधिक प्रसिद्धि हासिल है, इसलिए इसकी पहचान मंदिर आदि है। बल्कि कहा जाता है कि अगर कोई अपने इतिहास और अपनी सभव्यता से अच्छी तरह से रूबरू होना चाहता हो तो उसे एक बार भारत का दौरा ज़रूर कर लेना चाहिए। तो आइए आज हम आपको भारत के मध्याप्रदेश में स्थापित एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में मान्यता है कि यहां आज भी भी अदृश्य रूप में होता भगवान राम का आगमन होता है।
आइए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर के बारे में-
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले ओरछा में भगवान श्रीराम का एक भव्य और अद्भुत मंदिर स्थापित है। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां श्री राम भगवान के रुप में नहीं बल्कि एक राजा के रूप में पूजे जाते हैं।
यहां की लोक मान्यता के अनुसार यहां पर आज के समय में भी राम जी का ही शासन है। यही कारण है कि उसी कारण उन्हें दिन में पांच बार पुलिस द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। बता दें यह परंपरा आज से करीबन 400 साल से चल रही है। चूंकि ये राजा राम मंदिर ओरछा में स्थित है इसलिए इसे ओरछा मंदिर भी कहा जाता है। यहां मंदिर प्रांगण में श्री राम के अलावा लक्ष्मण और माता जानकी की मूर्तियां स्थापित हैं। जिनका बहुत खूबसूरती से श्रंगार किया जाता है।
मंदिर से पहले बना था महल
मान्यताओं के अनुसार यहां पहले महल बनाया गया था,जिसमें मूर्ति को पहले ही स्थापित कर दिया गया था। इसके बाद जब मंदिर बना तब वहां से मूर्ति हटाने का बहुत प्रयास किया गया लेकिन इसमें सफल नही मिल सकी।
जिस कारण से महल को मंदिर के रूप में बना दिया गया और मंदिर का नाम राजा राम मंदिर रख दिया गाया। स्थानीय लोगों के अनुसार कहा जाता है कि यहां राम जी रोज़ अयोध्या से अदृश्य रूप में आते हैं।
मान्यता-
मान्यताओं के अनुसार ओरछा की महारानी राजाराम के बाल रूप को अयोध्या से पैदल लेकर आईं थीं। रानी का नाम गणेशकुंवर था और राजा का नाम मधुरकशाह। रानी रामभक्त थीं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार वह अयोध्या की तीर्थयात्रा पर गईं और वहां सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपनी कुटी बनाकर साधना शुरू की।
इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधनारत थे। संत से आशीर्वाद पाकर रानी की आराधना और दृढ़ होती गईं, लेकिन रानी को कई महीनों तक राजा राम के दर्शन नहीं हुए। निराश होकर रानी अपने प्राण त्यागने सरयू की मझधार में कूद पड़ी। यहीं जल की अतल गहराइयों में उन्हें राजा राम के दर्शन हुए। रानी ने उनसे ओरछा चलने का आग्रह किया और इस तरह प्रभु श्रीराम ओरछा आए।