साल 2020 की पहली एकादशी, ऐसे मिलेगा योग्य संतान प्राप्ति का आशीर्वाद

Sunday, Jan 05, 2020 - 12:35 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
2020 साल का आरंभ हुए आज 5 पांच दिन हो चुके हैं। इसके साथ हिंदू धर्म में आने वाले त्यौहारों की झड़ी भी शुरू हो गई है जिसकी शुरूआत भगवाव विष्णु को समर्पित एकादशी पर्व से होगी। 06 जनवरी सोमवार को इस साल की पहली एकादशी मनाई जाएगी। जो पुत्रदा एकादशी कहा जा रहा है। जैसे कि इस एकादशी के नाम से स्पष्ट है कि ये पुत्र से संबंधित है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जिन महिलाओं को पुत्र प्राप्ति की इच्छा होती है उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हुए श्री हरि विष्णु भगवान से इसकी कामना करना चाहिए। यूं तो साल में आने वाले प्रत्येक एकादशी को खास माना जाता है। परंतु इस एकादशी का अपना ही खासा महत्व है।

प्रत्येक एकादशी की तरह इसके फल स्व्ररूप भी अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। परंतु संतान संबंधी किसी भी तरह का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए जानते हैं इस एकादशी से जुड़े कुछ खास नियम, पूजन विधि व पूजा का शुभ मुहूर्त-

व्रत के नियम आदि-
सबसे बता दें पुत्रदा एकादशी का यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है- निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत। धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए। इतना तो सब जानते ही होंगे कि प्रत्येक एकादशी पर श्री हरि विष्णु जी की पूजा होता है मगर इस एकादशी पर श्री हरि के कृष्ण स्वरूप की अराधना करने का अधिक विधान है। ऐसी मान्यता जो महिलाएं इस दिन पूरी श्रद्धा से श्री कृष्ण का ध्यान करती हैं उन्हें उनके जैसी संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पूजा विधि:
सुबह जल्दी उठकर व्रत करने का संकल्प लें उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा में गंगा जल, तुलसी, तिल, फूल पंचामृत इत्यादि का प्रयोग करें। जैसे कि हमने उपरोक्त बताया कि इस व्रत को निराहार या फलाहार दोनों ही तरीकों से रख सकते हैं। ज्योतिष मान्यताओं की मानें तो व्रत रखने वाले जातक शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद फल ग्रहण कर सकते हैं। पंरतु इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। अपनी क्षमता अनुसार व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर कुछ दान-दक्षिणा आवश्यक देना चाहिए।  

संतान की कामना हेतु करें इस मंत्र का जाप-
पति पत्नी संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करें, उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करके संतान गोपाल मंत्र का जाप करें। इन्हें पंचामृत का भोग लगाएं। धय्न रहे इसमें तुलसी दल का होना अति आवश्यक है।


मंत्र- "ॐ क्लीं कृष्णाय नमः"

 

Jyoti

Advertising