समय को उन कार्यों में लगाएं जो दे सच्ची संतुष्टि

Monday, Feb 26, 2018 - 10:22 AM (IST)

जब समय बीतता चला जाता है, तब घटनाएं घटित होती हैं व चलबिंदु स्थानांतरित होते हैं। इसलिए दो लगातार घटनाओं के होने अथवा किसी गतिशील बिंदु के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के अंतराल को समय कहते हैं। 


समय हमेशा बहता रहता है। कोई शक्ति इसे रोक नहीं सकती। समय की धारा में बहते हुए हम इतना कर सकते हैं कि उसका सदुपयोग करें। उसे अपने लिए अर्थवान बनाएं। जीवन को सार्थक बनाने से आशय यही है कि हमें संतुष्टि मिले। इसलिए अपने समय को उन कार्यों में लगाना चाहिए जो आपको सच्ची संतुष्टि देते हैं। 


पैसे से आपके जीवन में संतुष्टि नहीं आ सकती है। जब आप पैसे के पीछे जाते हैं तो और-और ही करते रहते हैं, लेकिन जब आप अपने जीवन में करुणा जगाते हैं तो संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्त होती है। जीवन की सार्थकता का एहसास होता है। हमारा लक्ष्य इस संतुष्टि को पाने का ही होना चाहिए।


पीड़ा और आनंद सभी जीव-जंतु समान रूप से महसूस करते हैं। यहां तक कि वृक्ष भी संवेदना व्यक्त करते हैं लेकिन मनुष्य के पास बुद्धि (विवेक) है जो उसे दूसरों से अलग करती है, लेकिन विवेक हमारी बहुत-सी समस्याओं का कारण बन गया है। बुद्धि ही आज मनुष्य के तनाव की वजह बन गई है।


पढ़े-लिखे लोग ज्यादा तनाव में रहते हैं क्योंकि वे अपेक्षाओं और डर के साथ जीवन जीते हैं। इनकी वजह से उनके सिर पर चिंताएं सवार रहती हैं। मनुष्य के मन में आशा और डर बना रहता है क्योंकि वह सोचता रहता है। यहीं हम जीवन में चिंता के लिए जगह बना लेते हैं।


आजकल कुछ वैज्ञानिक खोज करते हुए बताते हैं कि अगर नियमित डर, गुस्सा और नफरत आपके दिमाग में बने रहते हैं तो वे शरीर का बहुत नुक्सान करते हैं। शांत मस्तिष्क सबसे ज्यादा जरूरी है। 


भले ही आप विश्वास करें या न करें, जब तक आप आत्मनिष्ठ हैं, बहुत सोच-विचार कर चलते हैं, शांति नहीं पा सकते। जब मस्तिष्क बहुत चीजों से भरा नहीं होता, तब शरीर और मन ज्यादा बेहतर रहता है।

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