गीता प्रैस गोरखपुर में लगी 11 करोड़ की प्रिंटिंग मशीन

Tuesday, Aug 01, 2017 - 09:01 AM (IST)

हिन्दू धार्मिक पुस्तकों की विश्व की सबसे बड़े पब्लिशर गीता प्रैस ने अपनी क्षमता में  बढ़ौतरी करने लिए जर्मन निर्मित 11 करोड़ की प्रिंटिंग मशीन लगाई है। लगभग एक सदी पुरानी इस प्रैस में नई मशीन लगने से प्रिंटिंग की गुणवत्ता तथा बाइंडिंग में और सुधार होगा। गौरतलब है कि इस प्रैस से 65 करोड़ महाभारत, रामायण, रामचरित मानस तथा श्रीमद् भागवद् सहित कई अन्य धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन पुस्तकों का प्रकाशन 14 से अधिक भाषाओं में किया गया है। इस संबंध में गीता प्रैस के प्रबंधक के.के.एम. त्रिपाठी ने बताया कि नई मशीन के प्रयोग से उत्पादन लागत घटेगी तथा पुस्तकों की गुणवत्ता में सुधार होगा। 


गोस्वामी तुलसीदास के राम को जन-जन तक पहुंचाने में गीता प्रैस की सबसे बड़ी भूमिका है। गीता प्रैस दुनिया की श्रेष्ठ 50 कालजयी रचनाओं में शुमार तुलसीदास रचित रामचरित मानस की हर साल 6 लाख प्रतियां छापकर इसे आम लोगों तक पहुंचा रहा है। गुटका संस्करण काफी सस्ता होने के कारण लोग इसे हाथोंहाथ लेते हैं। मौजूदा दौर में पढऩे वालों की संख्या लगातार घट रही है और लोग अपने अतीत से कटते जा रहे हैं। ऐसे दौर में गीता प्रैस की भूमिका का महत्व समझा जा सकता है। गीता प्रैस की पुस्तकों की इतनी भारी मांग है कि प्रैस को 11 करोड़ की अत्याधुनिक मशीन लगानी पड़ी। गीता प्रैस तुलसीदास रचित रामचरित मानस की अभी तक 3 करोड़ 10 लाख प्रतियां छाप चुका है और हर साल 6 लाख से अधिक प्रतियों का प्रकाशन कर रहा है। मांग इतनी अधिक है कि गीता प्रैस इसे पूरा नहीं कर पा रहा है। 


गीता प्रैस पिछले 94 वर्षों से रामरचित मानस को काफी सस्ते दाम में लोगों तक पहुंचा रहा है। हिन्दी के अलावा रामरचित मानस अंग्रेजी, उडिय़ा, बांगला, तेलगु, मराठी, गुजराती, पालि व कन्नड़ भाषाओं में प्रकाशित हो रही है। गीता प्रैस की वैबसाइट पर डिजीटल रामचरित मानस भी पढ़ी जा सकती है। महज 45 रुपए में बिकने वाले रामचरित मानस के गुटका संस्करण की सर्वाधिक मांग है। इसकी 1 करोड़ 6 लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। 

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