खास समय पर महिलाओं को नहीं जाना चाहिए इस जगह, हो सकती है अनहोनी

Monday, Dec 19, 2016 - 08:57 AM (IST)

अनुश्रुति है कि महिला संतान को जन्म देने के बाद पूर्ण होती है। जच्चा और बच्चा के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उम्रदराज महिलाएं बहुत सारी हिदायतें देती हैं। गर्भवती महिला को चाहे उस समय वो बातें अच्छी नहीं लगती लेकिन उनका पालन करने से वे स्वस्थ संतान को जन्म देने में सक्षम बनती हैं। एक मान्यता के अनुसार गर्भस्थ महिला को सातवें महीने में या उसके बाद नदी व नाले पार नहीं करने चाहिए अथवा उनके पास नहीं जाना चाहिए। 


आधुनिक वर्ग इस मान्यता को केवल अंधविश्वास मानता है लेकिन उनका ऐसा सोचना सरासर गलत है। विज्ञान भी अपनी सहमति देता है की गोद भराई के उपरांत गर्भस्थ महिला को आराम करना चाहिए और यात्राएं नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य समस्याआें को बढ़ावा नहीं मिलता।


बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं का मानना है कि नदी और नाले के पास नकारात्मक ऊर्जाएं अपना बसेरा बना कर रखती हैं। तभी तो अधिकतर श्मशान भी नदी किनारे स्थित होते हैं, तंत्र साधनाएं भी यहीं पर होती हैं। गर्भअवस्था में महिलाओं के शरीर में बहुत सारे परिवर्तन होते हैं। उनमें व्यावहारिकता से अधिक संवेदनशीलता आ जाती है। नदी-नाले पार करने से जच्चा-बच्चा पर नकारात्मकता अपना प्रभाव शीघ्र दिखाती है।


अर्थवेद के उपवेद अयुर्वेद में पुंसवन नामक संस्कार के माध्यम से मनचाही और श्रेष्ठ संतान प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही धर्म ग्रंथों में भी बहुत सारे मंत्रों एवं उपायों का वर्णन किया गया है जिन्हें अपनाकर अपनी इच्छा के अनुरूप संतान की प्राप्ति की जा सकती है। 

श्रेष्ठ संतान व्यक्ति को उसके अच्छे संस्कार और पुण्यों से भी प्राप्त होती है। शास्त्रों में दिया गया सरल मंत्र है

मंत्र: ऐं ह्रीं ऐं

इस मंत्र का नियमित रूप से कुछ देर के लिए जाप करने से विद्या में श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति की जा सकती है।

Advertising