प्रयाग कोतवाल: यहां स्थापित है हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा

Tuesday, Mar 13, 2018 - 03:41 PM (IST)

गंगा नदी के तट पर त्रिवेणी के नजदीक लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर है। यह प्रयाग के कोतवाल के नाम से पूरे इलाहाबाद में मशहूर है। इस मंदिर की यह खासियत है कि  यहां हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में है और मान्यता के अनुसार संगम का पुण्य तभी पूर्ण माना जाता है, जब इस मंदिर के दर्शन कर लिए जाते हैं।


हनुमान जी की इस प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों के समय में उन्हें सीधा करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वे असफल रहे थे। जैसे-जैसे लोगों ने जमीन को खोदने का प्रयास किया, प्रतिमा नीचे धंसती चली गई।


आइए जानते हैं लेटे हुए हनुमान जी के इस मंदिर के बारे में कुछ रोचक बातें-


20 फीट लंबी है हनुमान जी की प्रतिमा 
हनुमान जी की ये अनोखी प्रतिमा 20 फीट लंबी है और आपको बता दें हनुमान जी की यह इकलौती प्रतिमा है जो लेटी हुई मुद्रा में है। संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है। इसे बड़े हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

 

पौराणिक कथा
लंका पर विजय के बाद देवी सीता ने हनुमान जी को आराम करने के लिए कहा था। इसके बाद उन्होंने प्रयाग में आकर विश्राम किया था। ये वही पवित्र स्थान है।


गंगा मैय्या स्वयं करती हैं चरण वंदना
वैसो तो हिंदू धर्म में तरह-तरह की मान्यताएं हैं। इसी मान्यता की एक रोचक कड़ी के रूप में इस सिद्ध प्रतिमा का अभिषेक खुद मां गंगा करती हैं। हर साल सावन में लेटे हनुमान जी को स्नान कराने के बाद वह वापस लौट जाती हैं। कहा जाता है कि गंगा का जल स्तर तब तक बढ़ता रहता है जब तक कि गंगा हनुमान जी के चरण स्पर्श नहीं कर लेती, चरण स्पर्श के बाद गंगा का जल स्तर अपने आप गिरने लग जाता है और सामान्य हो जाता है।


मान्यता
यहां तक कि इलाहाबाद में वर्ष 1965 एवं वर्ष 2003 के दौरान गंगा के पानी ने तीन-तीन बार वहां स्थित लेटे हुए हनुमान की चरण वंदना की थी। इस वर्ष भी इलाहाबाद में गंगा नदी का पानी हनुमान मंदिर में प्रवेश कर चुका है। वैसे इलाहाबाद के लोगों की मान्यता है कि जब-जब गंगा ने लेटे हनुमानजी की चरण वंदना की है तब-तब विपत्ति से मुक्त मंगलमय वर्ष रहा है।


गंगा स्पर्श के बाद होती पूजा अर्चना
इस दृश्य को देखने इलाहाबाद के आसपास से हजारों लोग वहां पहुंच रहे हैं। काफी लोगों के लिए यह चमत्कार जैसा ही है। आपको बता दें गंगा मैया जब स्नान कराकर पीछे चली जाती हैं तब रीति-रिवाज़ के हिसाब से पूजा-अर्चना होती है तथा उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए जाते हैं।

Advertising