प्रत्यक्ष व गुप्त नवरात्रि में क्या है अंतर, जानिए यहां!

Saturday, Jul 10, 2021 - 12:12 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष असार और माघ मास में गुप्त नवरात्रि बनाए जाते हैं इस बार यानी 2021 में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई दिन रविवार से प्रारंभ हो रहे हैं। जो आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि अर्थात 18 जुलाई तक चलेंगे। लगभग लोग केवल शादी नवरात्रों के बारे में जानकारी देते हैं बहुत कम लोग हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्रि क्या है, क्यों मनाई जाती है तथा ये अन्य नवरात्रि से कैसे भिन्न है, इस बारे में जानकारी रखते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि गुप्त नवरात्रि क्या है और यह क्यों मनाई जाती है तथा इसमें अन्य नवरात्रों में क्या फर्क है। सनातन धर्म से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि वर्ष में 4 बार आती है। जिन चार मास में यह नवरात्रि पड़ती है उन्हें पावन बना जाता है। बता दें यह मास है माघ, चैत्र, आषाढ़ तथा अश्विन। 

चैत्र मास में पढ़ने वाली नवरात्रि को सबसे बड़ी बसंत नवरात्रि के नाम से जाना जाता है तो वहीं अश्विन मास की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि व शारदे मां रात्रि कहते हैं इन दोनों के बीच छह मास की दूरी होती है शेष बचे दो नवरात्रि आषाढ़ व माघ मास में पढ़ते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना चाहता है।ज्योतिषशास्त्र के अनुसार गुप्त अर्थात छिपा हुआ। इसलिए इस नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की शुद्धि हेतु साधना की जाती है। खास तौर पर इन नवरात्रि में तंत्र साधना का महत्व होता है तथा तंत्र साधना को ही गुप्त रूप से किया जाता है जिस कारण यह गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं। नवरात्रों में साधना करने वालों को विशेष कामनाओं की सिद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अन्य मान्यता के अनुसार साधकों को इसका ज्ञान होने के कारण वह इस के छिपे होने के कारण इसे गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

इसलिए बनाई जाती है गुप्त नवरात्रि-
बसंत और शादी है नवरात्रि दृष्टि और सामान्य जनों के लिए माने जाते हैं बल्कि गुप्त नवरात्रि संतों और साधकों के लिए विशेष माने गए हैं। गुप्त नवरात्रि साधना की नवरात्रि मानी जाती है उत्सव कि नहीं। इसलिए इसे खास तरह की पूजा और साधना का विशेष पर्व माना जाता है। यह नवरात्रि विशेष कामना हेतु तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए संपन्न की जाती है। गुप्त नवरात्रि मे विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। अघोरी तांत्रिक लोग इस दौरान में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए विशेष प्रकार की उपासना करते हैं। एनिमल नेताओं के अनुसार यह नवरात्रि मोक्ष की कामना से भी संपन्न की जाती है।

यहां जानें क्यों अन्य नवरात्रि से अलग है ये नवरात्रि-
बसंत व शारदीय नवरात्रों को प्रत्यक्ष और अन्य को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

प्रत्यक्ष नवरात्रि में नव दुर्गा की पूजा संपन्न की जाती है तो वहीं कुछ नवरात्रि में देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।

प्रत्यक्ष नवरात्रि में सात्विक साधना, नृत्य व उत्सव मनाए जाते हैं जबकि इसके विपरीत गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक साधना और कठिन व्रत का महत्व होता है।

कहा जाता है कि प्रत्यक्ष नवरात्रि के दौरान संसार इच्छाओं की पूर्ति के लिए पूजा अर्चना की जाती है। परंतु गुप्त नवरात्रि को आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धि व मोक्ष हेतु पूजा संपन्न की जाती है।

प्रत्यक्ष नवरात्रि वैष्णवों की कहलाती हैं तथा गुप्त नवरात्रि शैव व शाक्तों की मानी जाती है

जहां प्रत्यक्ष नवरात्रि की प्रमुख देवी मां पार्वती को माना जाता है तो वही गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवी मां काली को माना जाता है।

Jyoti

Advertising