प्रदोष व्रत: जानिए, क्या है इसकी व्रत विधि व महत्व?

Monday, May 18, 2020 - 06:43 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
19 मई दिन मंगलवार को प्रदोष व्रत का त्यौहार मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में जैसे एकादशी वैसे ही प्रदोष व्रत का महत्व है। बता दें दिन के अनुसार प्रदोष व्रत को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को मंगल प्रदोष व्रत कहा जाता है। ये व्रत हर महीने में दो बार पड़ता है, कृष्ण और शुक्ल पक्ष में। हिन्दू पंचांग की मानें तो, ज्येष्ठ माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है जिस दौरान दोनों ही पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा का भी विधान है।  

धार्मिक महत्व- 
पौराणिक कथाओं व किंवदंतियों  के मुताबिक भगवान शिव प्रदोषकाल में कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं। इसलिए इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। उनकी पूजा से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

प्रदोष व्रत विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें, फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा करें तथा गंगाजल से उनका अभिषेक करें।

फिर उन्हें पुष्प अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करते हुए ॐ नम: शिवाय का जप करें।

शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में शिव जी की आरती करें।

प्रदोष व्रत पूजा समय-
बता दें प्रदोष व्रत में शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव खुश होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
 


 

Jyoti

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