प्रदोष व्रतः इस विधि से करें महादेव व माता पार्वती का पूजन

Friday, Oct 11, 2019 - 10:08 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा का विधान होता है। बता दें कि बहुत से लोग इस दिन व्रत रखते हैं ताकि भगवान की कृपा को पा सके। शास्त्रों के अनुसार शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष के नाम से जाना जाता है। प्रदोष काल में किए जाने वाले नियम, व्रत एवं पूजन को प्रदोष व्रत या अनुष्ठान कहा गया है। भगवान शिव और पार्वती की पूजा से जुड़ा यह पावन व्रत का फल प्रत्येक वार के हिसाब से अलग-अलग मिलता है। आगे जानते हैं इस दिन का महत्व व पूजन विधि-

पौराणिक महत्व
मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले साधक पर सदैव भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और उसका दु:ख दूर होता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत में शिव संग शक्ति यानि माता पार्वती की पूजा की जाती है। कहते हैं कि भगवान साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हुए उसका कल्याण करते हैं। 

पूजा विधि 
प्रदोष व्रत करने के लिए जल्दी सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और भगवान शिव को जल चढ़ाकर भगवान शिव का मंत्र जपें। इसके बाद पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं। 

रखें इन बातों का ख्याल 
इस दिन अपना मन, वाणी निर्मल बनाए रखें और व्रत के दौरान क्रोध न करें।

व्रत में शुचिता और पवित्रता का पूरा ध्यान रखें। अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखें। 

किसी भी प्रकार का नशा न करें और चोरी, झूठ, हिंसा आदि से बचें। 

Lata

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