प्रदोष व्रत पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

Sunday, Aug 21, 2022 - 12:10 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

कहा जाता है कि भगवान शिव एक ऐसे देव हैं जिनको प्रसन्न करने में जरा भी समय नहीं लगता। सावन के मास में तो उनकी विशेष रूप से पूजा की ही जाती ही है किंतु प्रत्येक मास में प्रदोष व्रत के दिन की जाने वाली इनकी उपासना का अलग ही महत्व है। शिव भक्त इसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत को पावन व्रतों में से एक माना गया है। बता दें हिंदू पंचाग के मुताबिक यह व्रत एक मास में दो बार यानि की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पड़ता है। अर्थात साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं।ज्योतिष विशेषज्ञों बताते हैं कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे पाप धूल जाते हैं और उसे मोक्ष का प्राप्ति होती है। बात करें भाद्रपद मास के प्रदोष व्रत की इस बार ये व्रत आने वाली 24 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रहा है। बुधवार को आने वाले प्रदोष व्रत को ज्ञान व शिक्षा पाने के लिए विशेष माना गया है। इस पावन दिवस पर अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से शिव जा की पूजा करे तो उसकी तमाम ईच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। तो आईए जानते हैं इस दिन की पूजन-विधि व खास मंत्रों के बारे में-

प्रदोष व्रत महुर्त
अगस्त 24, 2022, बुधवार बुध प्रदोष व्रत
06:56 पी एम से 09:08 पी एम त्रयोदशी

अवधि- 02 घण्टे 12 मिनट्स

भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी
प्रारम्भ - 08:30 ए एम, अगस्त 24
समाप्त - 10:37 ए एम, अगस्त 25

पूजन शुभ मुहूर्त- शाम 06:52 से रात 09:04 तक रहेगा।

प्रदोष व्रत पूजन विधी
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान शिव के इस पावन व्रत व पूजन करना चाहिए। इसके बाद सूर्यास्त के समय एक बार और स्नान करके भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें। फिर भक्ति भाव के साथ प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। मान्यता है शिव पूजा के दौरान ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करने से मानसिक तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है।

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शिव जी को लगाएं किस चीज का भोग-
ध्यान रहें प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव को हमेशा सत्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।

इन मंत्रों का करें जप-
ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।
कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।।

भावार्थ: देवों के देव महादेव जो अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

ॐ नमः शिवाय।।
नमः शिवाय,ॐ नमः शिवाय।।

भावार्थ: ॐ नमः शिवाय मंत्र का अर्थ ही यह है कि भक्त कहता है मैं भगवान शिव को नमन करता हूं। सावन के पवित्र महीने में प्रतिदिन इस मंत्र का जप करने से शिव शंकर जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। तो साथ ही साथ शिवरात्रि के शुभ अवसर पर इस मंत्र का 108 बार जाप करने से पापों से मुक्ति मिलती है। अगर मंत्र का सही उच्चारण करने से मन को परम आनंद प्राप्त होता है। आध्यात्म का आह्वान करने से आत्मा शुद्ध होती है।


 

Jyoti

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