Pongal : आज से आरंभ होगा पोंगल, पढ़ें रोचक जानकारी

Sunday, Jan 15, 2023 - 07:29 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Pongal 2023: पोंगल दक्षिण भारत के त्योहारों में से एक मुख्य पर्व है। यह मकर संक्रांति के समान ही सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है। पोंगल का पर्व खेती व फसलों से जुड़ा हुआ है। आज के दिन किसान फसल काट कर अपनी खुशी जाहिर करते हैं और ये दिन ग्रहों के राजा सूर्य नारायण को समर्पित होता है। पोंगल के दिन धूप, सूर्य, इन्द्रदेव और पशुओं की पूजा कर उनका धन्यवाद किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार पोंगल पर ऐसा करने से जमीन को जल और वायु की कभी कोई कमी नहीं होती। वहीं उत्तरी भारत में इस दिन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। भारत में ही नहीं बल्कि बहुत से विदेशों में भी पोंगल को बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं। पोंगल का त्यौहार एक दिन नहीं बल्कि चार दिनों तक मनाया जाता है। इस बार पोंगल पर्व की शुरुआत 15 जनवरी यानी आज से होगी और 18 जनवरी को इसका समापन होगा।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

Four day festival चार दिन का त्यौहार: चार दिवसीय इस त्यौहार की अपनी ही एक खासियत है। हर एक दिन का एक अलग ही महत्व होता है। इस दौरान शुभ-मांगलिक कार्यों के आयोजन होते हैं। तो आइए जानते हैं, इन चार दिनों में पोंगल को कैसे मनाया जाता है और क्या-क्या हैं इनके नाम:

Bhogi Pongal भोगी पोंगल- पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल कहते हैं। तमिल में इसे ‘पजहयना काजि़थलम पुथियाना पुगुधलुम’ भी कहा जाता है। इस दिन लोग फसलों की अच्छी पैदाइश के लिए इंद्र देव की पूजा करते हैं और भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं।

Thai Pongal थाई पोंगल- पोंगल के दूसरे दिन को थाई पोंगल कहा जाता है। इस दिन को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। बहुत ही हर्षोल्लास के साथ घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है और पकवान तैयार किए जाते हैं।

Mattu Pongal मट्टू पोंगल- पोंगल के इस तीसरे दिन में कृषि के कार्य में उपयोग किए जाने वाले पशुओं की पूजा करते हैं।

Kaanum Pongal कानुम पोंगल- ये पोंगल का चौथा और आखिरी दिन होता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर उन्हें शुभकामनाओं के साथ तोहफे भी भेंट करते हैं।

Story of Pongal festival पोंगल पर्व की कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपने बिसवा बैल को धरती लोक पर एक संदेश देने को भेजा। उन्होंने कहा सभी पृथ्वीवासियों से कहना रोज स्नान के बाद ही भोजन ग्रहण करें लेकिन बैल ने सबको एक माह में एक बार भोजन करने का गलत संदेश दे दिया। जब यह बात भोलेनाथ को पता चली तब वह बहुत क्रोधित हुए और बैल को श्राप दे दिया और लोगों की कृषि में सहायता करने का आदेश दिया। बैल की मदद से अच्छी उपज हुई और इसी खुशी में पोंगल का पर्व मनाया जाने लगा।

Niyati Bhandari

Advertising