पितृ पक्ष 2019: इन घाटों पर करें अपने पितरों का पिंडदान

Monday, Sep 09, 2019 - 01:33 PM (IST)

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अनंत चतुर्दशी के अगले दिन यानि 13 सितबंर से पितृ पक्ष का आरंभ हो रहा है। जिसके बाद पूरे देश में पावन नदियों के तट पर लोगों को अपने पितृ तर्पण करते देखा जाता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष की सभी तिथियों का व्यक्ति के जीवन में काफ़ी महत्व रखती है। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने पितरों की आत्मशांति की कामना करता है। लोक मान्यताओं के अनुसार इन तिथियों में श्राद्ध कर्म का विधान है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो हिंदू धर्म में तीर्थ का महत्व बहुत अधिक है। अगर पितृ पक्ष के दौरान तीर्थों पर और इन तिथियों में तीर्थों में किए गए श्राद्ध का तो विशेष फल मिलता है। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे तीर्थं स्थल जिनका अधिक महत्व है, जिस कारण वो अति प्रसिद्ध है-

ब्रह्मकपाल घाट बद्रीनाथ
उत्तराखंड के ब्रह्मकपाल घाट का श्राद्ध कर्म के लिए बड़ा महत्व है। मान्यता है कि शिव को ब्रह्म हत्या के पापों से यही मुक्ति मिली थी। कहा जाता है यहां श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों की आत्माएं तृप्त होती हैं और उनको स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। बल्कि जो यहां श्राद्ध कर लेता है उसी कहीं और श्राद्ध कर्म करने की ज़रूरत नहीं होती। पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने भी यहां अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया था।

गया, बिहार
पितृ पक्ष के दौरान यहां हजारों श्रद्धालु श्राद्ध कर्म के लिए आते है। मान्यता अनुसार यहां पर श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

प्रयाग, उत्तरप्रदेश
तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ प्रयाग को माना जाता है। गंगा, यमुना, सरस्वती नदियों का संगम होने कि वजह से यहां पर श्राद्ध कर्म करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि यहां श्राद्ध कर्म करने पुण्यात्मा को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है।

मेघंकर, महाराष्ट्र
ब्रह्मपुराण, पद्मपुराण आदि धर्म ग्रंथों में महाराष्ट्र से लगभग 75 किमी की दूरी पर स्थित मेघंकर तीर्थ का वर्णन पढ़ने को मिलता है। यह स्थान पैनगंगा नदी के तट पर है।

लोहागर, राजस्थान
राजस्थान के इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पर श्राद्ध कर्म करने से विशेष फल मिलता है। जिस व्यक्ति का श्राद्ध यहां किया जाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हरिद्वार, उत्तराखंड
हरिद्वार के मान्यता है कि मात्र यहां स्नान कर लेने से ही समस्त पापों का नाश हो जाता है। वैसे तो साल भर यहां पर श्रद्धालुओं कि भीड़ रहती है। परंतु पितृ पक्ष के दौरान यहां पर जन सैलाब काफी बढ़ जाता है। यहां पर किए गए श्राद्ध कर्म का फल दोगुना मिलता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Jyoti

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