पितृ पक्ष की नवमी तिथि को होता है किसका श्राद्ध, क्या है इसका महत्व

punjabkesari.in Thursday, Sep 10, 2020 - 06:23 PM (IST)

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02 सितंबर से इस साल का श्राद्ध पक्ष आरंभ हो चुका है, जो 17 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा। तब तक लोग पूरी श्रद्धा भाव से पितर तर्पण करते हैं। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो इसमें प्रत्येक श्राद्ध के लिए तिथियां निर्धारित की गई हैं। जिसके अनुसार पितृ पक्ष की नवमी तिथि के दिन माता का श्राद्ध किया जाता है। जिस कारण इस तिथि को मातृ नवमी भी कहा जाता है। ज्योतिषियों बताते हैं इस दिन व्यक्ति को अपनी माता का श्राद्ध करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन घर की अन्य महिलाओं का श्राद्ध आदि भी किया जा सकता है। इसके अलावा दिन  लोगों के घर के किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनके नाम पर इस दिन तर्पण व अन्य आयोजन भी किए जाते हैं। 
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कहा जाता है पितृ पक्ष में मातृ नवमी का अधिक महत्व है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी के दिन मृत महिलाओं का पूजन अर्चन करना अधिक आवश्यक होता है, कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन को सौभाग्यवती नवमी के नाम से भी जाना जाता है। बता दें इस बार ये नवमी तिथि 11 सितंबर को मनाई जाएगी। 

इससे जुड़ी कुछ मान्यताएं ये भी हैं कि इस दिन घर की महिलाओं को व्रत भी करना चाहिए। साथ ही साथ ब्रह्मामणो को भोजन करवाना चाहिए। ऐसा मान्यता है कि इससे मृत महिलाओं की आत्मा को शांति प्राप्त होती है तथा उनकी कृपा हमशा घर-परिवार पर बनी रहती है। 

आइए जानते हैं इससे जुड़ी अन्य जानकारी- 
इस दिन लोग पितरों के नाम पर (मृत्यु को प्राप्त हो चुकी महिलाओं के नाम पर) घर में ब्राह्मणों को भोजन पर आमंत्रित करते हैं। उनके आने पर उनका आदर सहित एवं पूरे विधिवत तरीके से उनका स्वागत सत्कार करते हैं। तथा बाद में अच्छे से भोजन करवाते हैं। आखिर में अपनी अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्माणों को दान-दक्षिण देकर विद करतें हैं उनका आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इससे मातृ शक्तियां प्रसन्न होती हैं तथा कृपा करती हैं। 
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कैसे करें मातृ नवमी की पूजा-
इस दिन पूजा के लिए घर के दक्षिणी कोने में हरे रंग का पवित्र कपड़ा बिछाएं, इस पर एक सुपारी रखते हुए अपने पूर्वजों का स्मरण करें। इसके बाद सुपारी के सामने अपने पूर्वजों के नाम से तिल के तेल का एक दिया जलाएं। 

ज़रूर करें श्रीमद्भगवद्गीता का गीता का पाठ-
मान्यताओं के अनुसार मातृ नवमी के दिन आटे का बड़ा दीया बनाएं, उसमें तेल डालकर उसके जलाएं और घर की दहलीज़ पर रख दें,  मातृ पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही जो व्यक्ति पूर्वजों का श्राद्ध कर रहा हो उसे इस दौरान श्रीमद्भगवद्गीता के नवें अध्याय का पाठ करना चाहिए, विशेष लाभ प्राप्त होता है।
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Jyoti

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