फुलेरा दूज से जुड़ी ये धार्मिक कथा पढ़कर प्रफुल्लित हो जाएगा आपका मन

Friday, Mar 04, 2022 - 08:24 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जैसे की हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से बता चुके हैं, कि आज देश के कई विभिन्न हिस्सों में फुलेरा दूज नामक पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन से रंगों के त्यौहार होली का आरंभ माना जाता है। इसलिए इसे होली को आगमन का प्रतीक भी माना जाता है। हिंदू धर्म के शास्त्रों की बात करें तो इसमें हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले हर पर्व दिवस से जुड़ी धार्मिक कथाएं आदि वर्णित हैं। तो जाहिर सी बात है कि इसमें फुलेरा दूज से जुड़ी भी कथाएं व मान्यताओं आदि शामिल होंगी। तो चलिए फुलेरा दूज के इस खास पर्व पर जानते हैं इससे जुड़ी ऐसी ही एक धार्मिक कथा जिससे पढ़कर आपका भी मन प्रसन्न हो जाएगा।

फुलेरा दूज से जुड़ी पौराणिक कथा- धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार अधिक व्यस्तता के कारण भगवान श्री कृष्ण कई दिनों से राधा जी से मिलने वृंदावन नहीं आ रहे थे। तब राधा रानी के दुखी होने पर गोपियां भी श्री कृष्ण से रूठ गई थीं। ऐसी किंवदंतियां है कि तब राधा जी के उदास होने के कारण मथुरा के वन सूखने लगे और पुष्प मुरझा गए।
 
जब श्री कृष्ण को की स्थिति के बारे में पता चला तो वह तुरंत राधा रानी से मिलने वृंदावन पहुंचें। जिन्हें देखकर राधा रानी खुश हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। तब भगवान श्री कृष्ण ने खिल रहे पुष्प को तोड़ा और राधा रानी को छेड़ने के लिए उन पर फेंका।

राधा रानी ने भी ऐसा ही श्री कृष्ण के साथ किया। यह दृश्य देखकर वहां पर मौजूद गोपियों और ग्वालों ने भी एक-दूसरे पर फूल बरसाने शुरू कर दिए। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद से ही प्रति वर्ष मथुरा वृंदावन में फूलों की होली खेली जाने लगी।

बता दें इस दिन मथुरा और वृंदावन में सभी मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है तथा फूलों की होली खेली जाती है। फुलेरा दूज का उत्‍सव उत्तर भारत के गांवों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा इस दिन यहां फूलों से रंगोली बना कर श्री राधा-कृष्‍ण का विशेष रूप से फूलों से श्रृंगार करके उनका पूजन करने की भी परंपरा प्रचलित है। 

 

Jyoti

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